आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य और उनकी टीम ने कुछ माह के शोध के बाद इस तकनीक को खोजा है। प्रो. भट्टाचार्य ने बताया कि इसके लिए स्मार्ट मैटेरियल स्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स (एसएमएसएस) लैब में एक प्रोजेक्ट बनाया था। जिसमें एक एक्यूरियम में पानी को भरा गया। इसके बहाव को 0.5 किलोमीटर/प्रतिघंटा की रफ्तार दी गई। इस पानी में एक विशेष तरह की डिवाइस को लगाकर मैकेनिकल एनर्जी उत्पन्न की गई। फिर इसमें वीआईवी (वर्टेक्स इंड्यूस्ड वाइब्रेशन) तकनीक का प्रयोग किया गया। इससे मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल दिया गया। इस प्रयोग में टीम ने पानी में हलचल मात्र से 230 मिलीवोल्ट की दर से बिजली जनरेट की। इस शोध में संस्थान के प्रो. मंगल कोठारी, प्रो. सेन, प्रो. केतन भी शामिल रहे।
अभी तक वीआईवी तकनीक से सिर्फ लैब में सेंसर को बिजली देने के हिसाब से प्रयोग किया गया है। आईआईटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द ही इसका प्रयोग भारी मात्रा में बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है। तकनीक से जगह-जगह बिजली बनाई जा सकती है। प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिक कृतसनम कंपनी और साइंस टेक्नोलॉजी विभाग के एक परियोजना पर काम कर रहे हैं। ऐसा सेंसर बनाया है, जो नदी या तालाब के अंदर 24 घंटे, 365 दिन रहकर पानी की हलचल समेत सभी डाटा उपलब्ध कराता रहेगा।
जब नदी के पानी की जांच की जाती है तो इसके लिए सेंसर को नदी के अंदर 24 घंटे रखने के लिए एनर्जी कहां से दी जाए, यह समस्या थी। सोलर पैनल 24 घंटे काम नहीं करेगा, विंड एनर्जी भरोसेमंद नहीं है, इलेक्ट्रिक दिया नहीं जा सकता। तब लगा कि ऐसा शोध किया जाए कि पानी के अंदर ही सेंसर की जरूरत के अनुसार उसे बिजली मिल जाए।