मैनेजर ने वेतन के रूप में थमा दिया चिल्लर चौबेपुर थानाक्षेत्र निवासी रामसिंह (40) मोर डिटर्जेंट कंपनी में नौकरी करते थे। रामसिंह की पत्नी गर्भवती थी और उसका इलाज चल रहा था। बीमार पत्नी का इलाज कराने के लिए रामिंसह कंपनी पहुंचा और मैनेजर से अपना वेतन मांगा। मैनेजर ने उसके एक माह का वेतन दो, पांच और दस के चिल्लर से भरा थैला पकड़ा दिया। रामसिंह के भाई ने बताया कि जब भईया ने चिल्लर लेने से इंकार कर दिया तो मैनेजर व अन्य सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ मारपीट पर उतारू हो गए और जबरन चिल्लर से भरा थैला थमा दिया। वो चिल्लर लेकर जैसे ही कंपनी के बाहर निकले वैसे ही गिर कर बेहोश हो गये। अन्य कर्मचारियों ने उन्हें अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मृतक के पास सेलरी के सिक्कों से भरी रेजगारी मिली। उनके साथ काम करने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि सैलरी में सिक्के मिलने से वो तनाव में थे और उन्हें हार्ट अटैक पड़ गया।
कंपनी में शव रख किया हंगामा मृतक के परिजनों ने शव को कंपनी में रखकर हंगामा करने लगे। कंपनी के मैनेजर अरूण पांडेय ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने राम सिंह के परिवार को मनाती रही, लेकिन वो मालिक को बुलाए जाने पर अड़ गए। मालिक के आने के बाद मृतक के परिजन शांत हुए और कंपनी की तरफ से 1 लाख 30 हजार का मुआवजा दिया। इंस्पेक्टर ने बताया कि रामसिंह की मौत बीमारी के चलते हुई है। रामसिंह के परिजनों ने तहरीर नहीं दी। वहीं कंपनी के अन्य कर्मचारियों का आरोप है कि यहां पर मैनेजमेंट हर माह वेतन के रूप में चिल्लर दिया जा रहा है। जबकि चिल्लर से हमलोग कोई भी वस्तु नहीं खरीद सकते।