बढ़ती संख्या से डॉक्टर हैरान
हृदय रोग संस्थान की ओपीडी में नौ साल पहले दिल के रोगी युवाओं की तादाद मात्र 7 फीसदी के आसपास रहती थी। 2015 आते-आते आंकड़े दोगुने हो गए। लेकिन पिछले एक साल में स्थितियां बेहद विपरीत हुई हैं। इस अवधि में बीमार युवाओं की तादाद बढ़कर 35 फीसदी हो गई है। हर साल दिल के रोगियों में हो रहे इजाफे से डॉक्टर भी न सिर्फ हैरत में हैं बल्कि वे इसकी वजह तलाशने में लगे हुए हैं। संस्थान निदेशक के अनुसार धमनियों में ब्लॉकेज से 15 फीसदी युवाओं को तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। अप्र्रैल 18 से मार्च 2019 तक के वित्तीय वर्ष में कार्डियोंलॉजी में 633 युवाओं की एंजियोप्लास्टी और बैलून माइट्रल वैल्वोटॉमी की गई थी।
हृदय रोग संस्थान की ओपीडी में नौ साल पहले दिल के रोगी युवाओं की तादाद मात्र 7 फीसदी के आसपास रहती थी। 2015 आते-आते आंकड़े दोगुने हो गए। लेकिन पिछले एक साल में स्थितियां बेहद विपरीत हुई हैं। इस अवधि में बीमार युवाओं की तादाद बढ़कर 35 फीसदी हो गई है। हर साल दिल के रोगियों में हो रहे इजाफे से डॉक्टर भी न सिर्फ हैरत में हैं बल्कि वे इसकी वजह तलाशने में लगे हुए हैं। संस्थान निदेशक के अनुसार धमनियों में ब्लॉकेज से 15 फीसदी युवाओं को तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। अप्र्रैल 18 से मार्च 2019 तक के वित्तीय वर्ष में कार्डियोंलॉजी में 633 युवाओं की एंजियोप्लास्टी और बैलून माइट्रल वैल्वोटॉमी की गई थी।
बीमारी की मुख्य वजह
डॉक्टरों के मुताबिक जीवन में तनाव से दिल की बीमारी होती है। इसके अलावा गलत खानपान, गरिष्ठ और तैलीय भोजन, जंक फूड और कोल्ड ड्रक्िंस, कम्प्यूटर और दूसरे इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर अधिक समय तक काम करते रहना, स्मोकिंग, तम्बाकू के साथ-साथ शराब की लत और तेजी से बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण भी दिल की बीमारी की वजह बनता है।
डॉक्टरों के मुताबिक जीवन में तनाव से दिल की बीमारी होती है। इसके अलावा गलत खानपान, गरिष्ठ और तैलीय भोजन, जंक फूड और कोल्ड ड्रक्िंस, कम्प्यूटर और दूसरे इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर अधिक समय तक काम करते रहना, स्मोकिंग, तम्बाकू के साथ-साथ शराब की लत और तेजी से बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण भी दिल की बीमारी की वजह बनता है।
गर्मी में भी मरीजों की रिकार्ड संख्या
अभी तक नवम्बर से फरवरी तक दिल की बीमारी का पीक समय माना जाता है लेकिन यह मिथक भी टूट गया है। अब गर्मी में भी दिल बीमार होने लगा है। दोपहर 1 बजे तक 752 मरीजों के पर्चे बन चुके थे। भीड़ के चलते मरीजों को जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। डॉ. एसके सिन्हा को शाम तक मरीजों का इलाज करना पड़ा। हार्ट विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि स्थितियां लगातार गंभीर हो जाती जा रही हैं।
अभी तक नवम्बर से फरवरी तक दिल की बीमारी का पीक समय माना जाता है लेकिन यह मिथक भी टूट गया है। अब गर्मी में भी दिल बीमार होने लगा है। दोपहर 1 बजे तक 752 मरीजों के पर्चे बन चुके थे। भीड़ के चलते मरीजों को जमीन पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। डॉ. एसके सिन्हा को शाम तक मरीजों का इलाज करना पड़ा। हार्ट विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि स्थितियां लगातार गंभीर हो जाती जा रही हैं।