कानपुरPublished: Jul 25, 2018 03:04:56 pm
Vinod Nigam
चौबेपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर धंधक-धंधक कर जलती रही गरीबों की मेडिसिन, अफसरों ने कहा जांच के बाद होगी कार्रवाई
कानपुर की स्वास्थ सेवाओं को चढ़ा बुखार, गरीबों की दवाओं का किया दाह संस्कार
कानपुर। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी हैं। हैलट, उर्सला सहित तमाम सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स मरीजों का इलाज नहीं करते। कमाई के चलते उन्हें अपनी क्लीनिक में बुलाते हैं तो वहीं दवाएं अस्पताल के बजाए बाजार से मंगवाते हैं। मरीजों ने कईबार शासन-प्रशासन तक शिकायत पहुंचाई, पर आज तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिससे धरती के भगवान अब मरीजों से यमराज की तरह पेश आते हैं। वहीं एक नया मामला सामने आया है। यहां के डॉक्टर्स ने निजी कंपनियां को फायदा पहुंचाने के लिए धड़ल्ले से बाहर से दवा लिखी और जब अस्पताल में रखी लाखों की दवाइयां एक्सपायर हो गयीं तो उन्हें आग के हवाले कर दिया। जिससे एक तरफ मरीजों को लाभ नहीं मिल सका तो वहीं दूसरी तरफ वातावरण को भारी नुकसान हुआ।
दवाओं को लगाई गई आग
दो दिन पहले हैलट अस्पताल में उन्नाव से आए घायलों को इलाज के नाम पर मांगे गए पैसे नहीं देने पर जूनियर डॉक्टर्स ने बाहर निकाल दिया था। दोनों घायल पूरी रात फुटपाथ पर पड़े रहे और बिना इलाज के अपने घर वापस लौट गए तो वहीं उर्सला में भी कुछ ऐसे ही कई मामले सामने आए है। यहां के डॉक्टर्स मरीजों को बाहर से दवा के साथ अपने क्लीनिक में इलाज के लिए बुलवा रहे हैं। पर सबसे सनसनी खेज मामला जिले के चौबेपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सामने आया। यहां के डॉक्टर्स निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये ज्यादातर बाहर से ही दवाएं मरीजों को लिखते हैं। जिसके चलते अस्पताल में आयीं लाखों की सरकारी दवाएं एक्सपायर हो गयीं। ऐसे में अस्पताल के जिम्मेदार अपने को फंसता देख अस्पताल परिसर के पीछे सुनसान जगह पर सभी एक्सपायरी दवाइयों को आग के हवाले करवा दिया। इसी दौरान किसी ने पूरी वारदात का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।
इस फार्मासिस्ट ने लगाई आग
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पर बुखार तक की दवा बाजार से मंगवाई जाती थी। फार्मासिस्ट केके त्रिपाठी से जब मरीज दवा के लिए फरियाद करते तो वो उन्हें दवा नहीं होने की बात कह कर टहला देते। इतना ही नहीं महंगी दवाओं को मेडिकल स्टोर में बेंचा जाता और जिसके खरीदार नहीं मिलते तो उन दवाओं को डिब्बों में भर कर रख दिया जाता। वीडियो में फार्मासिस्ट केके त्रिपाठी को दवाइयों में आग लगाते हुए पाए गए हैं। अस्पताल में दवा लेने के लिए आए मरीज अफशाक ने बताया कि उन्हें कईदिनों से फीवर है। दो दिन पहले आए तो डॉक्टर्स ने कुछ दवा दी और महंगी दवाएं बाजार से खरीद कर लाने को कहा। यही हाल अन्य मरीजों का था, जिन्हें अस्पताल के बजाए बाजार से दवा खरीद कर लानी पड़ रही हैं। जब मामले पर फार्मासिस्ट से बात की गई तो वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए।
इसके जरिए की जाती हैं दवा नष्ट
जानकारों का कहना है कि अस्पतालों का जैविक कचरा इंसीनरेटर में ही नष्ट किया जा सकता है। इस कचरे को नष्ट करने के लिए तीन श्रेणी बनाई गई हैं, पैथोलॉजी, डायगोनिस्टिक व एलोपैथिक दवाएं। इन सभी के कचरे को संबंधित कंपनियां जो माल देती हैं केमिकल इंसीनरेटर में नष्ट करती हैं। इसके लिए एक्सपायरी तिथि से 120 के अंदर कंपनी के पास कचरा पहुंच जाना चाहिये। लेकिन लिखा पढ़ी करने के चक्कर में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर उनको आग के हवाले करना उचित समझते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डॉक्टर धमेन्द्र सिंह राजपूत ने मामले पर कहा कि 120 दिन के अंदर एक्सपायरी दवाओं को वापस कर देतें हैं। जब पूछा गया कि अस्पताल परिसर के पीछे एक्सपायरी दवाएं जलाए जाने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है तो उन्होंने बचाव करते हुये कहा कि कूड़ा जलाया गया है, कह कर आगे कुछ भी बात करने से इंकार कर दिया।
दवाओं के जलाने से हो कसती हैं बीमारियां
सीएसए के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर अनुरूद्ध दुबे ने बताया कि दवा को फेंकना या उसे जलाना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। दवा तभी तक दवा है, जब तक उसकी एक्सपायरी डेट नहीं निकली। इसके बाद वह जहर के समान हो जाती है। यह पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। दवाएं खुले में फेंकने से पशुओं द्वारा खाने का खतरा रहता है। इन दवाओं को जलाने से रासायनिक कण हवा में घुलकर उसे जहरीला बना देगीं। दवाओं को जलाने से निकलने वाले धुएं से सांस, फेफड़ों, त्वचा सम्बंधी बीमारियां हो सकती हैं। कुल मिलाकर अगर एक्सपायरी दवाएं जलाई गयीं है तो उस जगह का वातावरण ऐसा दूषित हो गया होगा कि मनुष्य ही नहीं सभी जीव जंतुओं को नुकसान होगा। कई प्रकार के बीमारियां वहां पैर पसार सकती हैं।
कुछ इस तरह से बोले जिम्मेदार
एक्सपायरी दवाओं के जलाने को लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार शुक्ला ने ममाले पर कहा कि मामले की जानकारी है और जांच की जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पूरे प्रकरण पर डीएम विजय विश्वास पंत से जब बातचीत की गई तो उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुये कहा कि यह बहुत बड़ी लापरवाही है किसी भी सूरत में लापरवाही करने को माफ नहीं किया जा सकता। कहा मैं खुद मामले की जांच करूॅंगा और दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। वहीं जानकारों का कहना है कि कानपुर ही नहीं प्रदेश के अधिकतर दवाओं को मरीजों को देने के बजाए बाजार में बेच दिया जाता है। कम कीमत और निजी कंपनियों के कहने पर डॉक्टर्स उन दवाओं को बाजार से लाने को कहते हैं। चौबेपुर तो महज छोटा मोहरा है। इस पूरे खेल में एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। जिसकी जड़ें लखनऊ तक फैली हैं।