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नौकरी छोड़ छात्र ने लैब को बनाया घर, फेसबुक युजर्स अब हिन्दी में देंगे उत्तर

locationकानपुरPublished: Feb 02, 2019 03:28:58 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

अमित मिश्रा ने आईआईटी मुम्बई से बीटेक करने के बाद छोड़ दी जॉब, कानपुर आईआईटी आकर खड़ी की कंपनी और रिसर्च के जरिए लोगों की समस्याओं का कर रहे हैं हल।

facebook hindi replica invented by iit student in kanpur

नौकरी छोड़ छात्र ने लैब को बनाया घर, फेसबुक युजर्स अब हिन्दी में देंगे उत्तर

कानपुर। बचपन से कुछ अगल करने की चाहत के चलते आईआईटी के एक छात्र ने नौकरी छोड़ अपनी लैब को घर बना लिया। इसके बाद आमजन की समस्याओं का समाधान करने के लिए शोध करने लगा। सेना के लिए औजार बनाएं तो किसानों की गरीबी दूर करने के लिए उन्नत खेती के उपकरण तैयार किए। इसी बीच उनके दिमाग में सोशल साइड के हिन्दीभाषी यूजर्स की समस्या घर कर गई। अपने साथियों की मदद से छात्र ने फेसबुक का इंडियन में वर्जन तैयार किया है, जिसका नाम शब्द नगरी दिया। इसके जरिए सोशल साइड के यूजर्स को हिन्दी में एक-दूसरे को कम्मेंट भेज सकते हैं।

अब हिन्दीभाषी में देंगे सटीक जवाब
आईआईटी के पूर्व छात्र अमितेश मिश्रा ने फेसबुक के युजर्स के लिए शब्द नगरी नामक एक शाफ्टवेयर बनाया है। शब्द नगरी के जरिए अंग्रेजी नहीं जानने वाले यूजर्स इसके जरिए उसका ठीक से अनुवाद कर लेंगे और अपने विचार व्यक्त करना, अपना ब्लाग बनाना और लेख हिन्दी में लिख सकते हैं। अमित मिश्रा कहते हैं कि फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले हिन्दी भाषियों को अक्सर असहज होना पड़ता है। इसकी वजह है कि इस सोशल साईट की अधिकृत भाषा अंग्रेजी है। हिन्दी लिखना बेहद मुश्किल होने के के कारण अधिकॉश हिन्दी वाक्य रोमन लिपि में लिखे जाते हैं। इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए हमनें अपने साथियों की मदद से शब्द नगरी बनाई है, जिसके जरिए अंग्रेजी शब्दों को यूजर्स पहचान कर उसका हिन्दी में उत्तर दे सकेगा।

2007 में जॉब छोड़ कानपुर आए
अमित मिश्रा ने मुम्बई आईआईटी से 2007 में बीटेक पास आउट किया। एक प्राइवेट कंपनी में लाखों के पैकेज की जॉब छोड़ आईआईटी कानपुर के सिडबी इनोवेशन सेण्टर में अपनी कम्पनी खोली। सिडबी ने उन्हें 25 लाख रूपये की आर्थिक मदद की तो उन्होने शब्द नगरी साईट को इजाद किया। आज यह एक ऐसी इन्टरनेट सेवा बन चुकी है जो हिन्दी में मौलिक विचारों को प्रोत्साहित करती है। फेसबुक की तरह शब्दनगरी में कोई व्यक्ति अपना एकाउण्ट बना सकता है और अपने साथ अपनी अभिरूचि के लोगों को जोड़कर उनसे अपने विचार व लेख आदि साझा कर सकता है।

ये सुविधाएं भी मौजूद
अमित मिश्रा ने बताया कि शब्दनगरी के जरिए अब करोड़ों लोग अपने मित्रों को इसी के जरिए जोड़ रहे हैं। तो प्रसिद्ध रचनाकारों से जुड़ने और उन तक अपनी रचनाएं पहुंचाने का सशक्त जरिया भी बनें हैं। अमित बताते हैं, प्रसिद्ध रचनाकारों को लाईक करने और उनके नेटवर्क से जुड़ कर उनकी रचनाओं से लाभान्वित होने के अवसर भी मिलते हैं। इसके अतिरिक्त शब्द नगरी के यूजर्स लेखकों के आयामों पर लिखने की अनुमति भी मांग सकते हैं।

सभी सेवाऐं पूरी तरह निःशुल्क
अमित ने बताया कि इंडिया में करीब 65 करोड़ हिन्दी भाषी लोग रहते हैं और इनमें से 15 करोड़ किसी न किसी इण्टरनेट सोशल साईट का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमित ने कहा कि अब हम अपनी शब्द नगरी को इन तक पहुंचाने के लिए जुटे हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी के जंजाल से आजादी मिल सके। अमित के मुताबिक इस बेवसाईट पर सभी सेवाऐं पूरी तरह निःशुल्क हैं। हिन्दी का अॅॅन स्क्रीन की बोर्ड उन लोगों को और भी सुविधा देता है जिन्हें अंग्रेजी वर्णमाला का जरा भी ज्ञान नहीं है। हिन्दी की-बोर्ड के कारण इस साईट का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में किया जा सकता है।

शब्दनगरी का मोबाईल एप भी तैयार
अमित बताते हैं कि बिजनेस की दुनिया से लेकर आम जिन्दगी तक मोबाइल फोन्स ने हमारी जिन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया है। आज के समय में मोबाइल एप के बिना अपनी जिन्दगी के बारे में सोचा भी नहीं ज सकता है। इसलिये एक साल की आशातीत सफलता के बाद अब शब्दनगरी का मोबाईल एप भी बनाया गया है। ताकि शब्दनगरी वेबसाइट की विभिन्न सेवाओं का लाभ अब आप मोबाइल उपभोक्ता भी ले सकें। अमित कहते हैं कि आज के दौर में शहरी क्षेत्रों में तो लोग अंग्रेजी भाषा जानते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में हिन्दी ज्यादा बोली और पढ़ी जाती है। शब्दनगरी के जरिए अब हम ग्रामीणों को इसके बारे में जानकारी देंगे।

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