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कबूतरबाजों के जाल में फंसे तीन युवक, सुषमा स्वराज से परिवार ने लगाई मदद की गुहार

locationकानपुरPublished: Mar 31, 2018 09:23:03 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

शहर में पिछले कई सालों से कबूतरबाजों का गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर उनसे पैसे ऐंठने के बाद उन्हें अरब देशों में शेखों को बेच रहा है।

Kanpur Crime

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कानपुर. शहर में पिछले कई सालों से कबूतरबाजों का गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर उनसे पैसे ऐंठने के बाद उन्हें अरब देशों में शेखों को बेच रहा है। ऐसा ही एक मामला चकेरी थानाक्षेत्र अंतर्गत जाजमऊ इलाके में सामने आया है। यहां कबूतरबाजों ने नौकरी लगवाने के नाम पर पहले उनसे दो-दो लाख रूपए लिए और फिर सउदीअरब के बजाए प्रदंह दिन का वीजा देकर मलेशिया भेज दिया। वहां पहुंचते ही तीनों युवकों को एक कमरे में बंद कर दिया गया और फिर उन्हें सीमेंठ फैक्ट्री में मजदूरी पर लगा दिया गया। इसी दौरान युवकों ने फोनकर अपने परिजनों को सारी हकीकत बयां की तो परिजन थाने गए और शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद पिछले पंद्रह दिनों से युवकों का संपर्क अपने परिजनों से टूट गया। तीनों युवकों की माताओं ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाते हुए उन्हें भारत लाए जाने की अपील की है।
दो-दो लाख रूपए लेकर भेजा विदेश-
कानपुर के तीन युवक कबूतरबाजों के हाथों में पड़ने के बाद से लापता है। कबूतरबाजों ने उनके परिवार से दो-दो लाख रूपये ऐंठकर साउदीअरब में नौकरी दिलाने का वादा किया था, लेकिन उन्हें मलेशिया भेज दिया गया। पिछले 15 दिनों से उनकी कोई खबर न मिलने से उनके परिवारवालों का रो रोकर बुरा हाल है। तीनों परिवार जाजमउ इलाके के रहने वाले हैं। उनका सम्पर्क गुलफाम नामक एक युवक से हुआ था। गुलफाम ने कहा कि अगर वे दो-दो लाख रूपये खर्च करें तो उनके बेटों को साउदी अरब में शानदार नौकरी मिल सकती है। बेटों के भविष्य की खातिर एक मॉ ने अपने गहने गिरवी रखे तो दूसरी ने अपना घर। पहली दिसम्बर 2017 को तीनों लड़के रईस, शानू और इसरार हैदराबाद पहुॅचे, लेकिन वहॉ उन्हें गुलफाम का ऐजेण्ट नहीं मिला। नौ दिन तक भटकाने के बाद गुलफाम ने उन्हें हवाई यात्रा का टिकट और मलेशिया का वीजा थमा दिया। ये मलेशिया में किसी कॉफ्रेंस में हिस्सा लेने के नाम पर बनवाया गया था और इसकी अवधि मात्र 15 दिन थी।
सीमेंट फैक्ट्री में करते थे मजदूरी
मलेशिया के कुआलालम्पुर पहुॅचने पर तीनों को एक सीमेण्ट फैक्टी में नौकरी पर लगवा दिया गया। उन्हें भेड़ बकरियों की तरह एक कमरे में रखा जाता था। जहॉ पहले से कई आदमी रखे गये थे। युवकों ने अपने परिवार वालों को फोन पर बताया कि वे वहॉ बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं और एक बार छापा मारकर पुलिस पकड़ भी चुकी है, लेकिन फैक्ट्री के जीएम ने उन्हें छुड़वा लिया। 16 मार्च की सुबह शानू ने अन्तिम बार अपनी मॉ को वायस मैसेज भेजा था, लेकिन उसके बाद से तीनों युवकों का कोई पता नहीं है। अब तीनों के परिवारवालों ने एक वकील की मदद ली है जिसने आईजीआरएस सिस्टम के जरिये शासन में इस कबूरबाजी की शिकायत दर्ज करायी है।
सुषमा स्वराज से मांगी मदद-
रईस की मां रफीकुल ने बताया कि जब से बेटे से सपंर्क टूटा है पूरा परिवार सदमें है। चकेरी पुलिस के पास गए, लेकिन उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर लिए। पीड़िता ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से फरियाद की है कि उसके बेटे को सकुशल मलेशिया से यहां आने में मदद करें। रईस की पत्नी असराबानो ने कहा कि विदेशमंत्री भी किसी की मां और पत्नी है। मेरा शौहर मुसीबत में है। इसलिए मैं उनसे मांग करती हूं कि वह आगे आएं और हमारी मदद करें। रईस के पिता ने बताया कि कबूरतरबाज के खिलाफ हमने थाने में तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने अभी तक कार्रवाई नहीं की। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
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