कानपुर के तीन युवक कबूतरबाजों के हाथों में पड़ने के बाद से लापता है। कबूतरबाजों ने उनके परिवार से दो-दो लाख रूपये ऐंठकर साउदीअरब में नौकरी दिलाने का वादा किया था, लेकिन उन्हें मलेशिया भेज दिया गया। पिछले 15 दिनों से उनकी कोई खबर न मिलने से उनके परिवारवालों का रो रोकर बुरा हाल है। तीनों परिवार जाजमउ इलाके के रहने वाले हैं। उनका सम्पर्क गुलफाम नामक एक युवक से हुआ था। गुलफाम ने कहा कि अगर वे दो-दो लाख रूपये खर्च करें तो उनके बेटों को साउदी अरब में शानदार नौकरी मिल सकती है। बेटों के भविष्य की खातिर एक मॉ ने अपने गहने गिरवी रखे तो दूसरी ने अपना घर। पहली दिसम्बर 2017 को तीनों लड़के रईस, शानू और इसरार हैदराबाद पहुॅचे, लेकिन वहॉ उन्हें गुलफाम का ऐजेण्ट नहीं मिला। नौ दिन तक भटकाने के बाद गुलफाम ने उन्हें हवाई यात्रा का टिकट और मलेशिया का वीजा थमा दिया। ये मलेशिया में किसी कॉफ्रेंस में हिस्सा लेने के नाम पर बनवाया गया था और इसकी अवधि मात्र 15 दिन थी।
मलेशिया के कुआलालम्पुर पहुॅचने पर तीनों को एक सीमेण्ट फैक्टी में नौकरी पर लगवा दिया गया। उन्हें भेड़ बकरियों की तरह एक कमरे में रखा जाता था। जहॉ पहले से कई आदमी रखे गये थे। युवकों ने अपने परिवार वालों को फोन पर बताया कि वे वहॉ बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं और एक बार छापा मारकर पुलिस पकड़ भी चुकी है, लेकिन फैक्ट्री के जीएम ने उन्हें छुड़वा लिया। 16 मार्च की सुबह शानू ने अन्तिम बार अपनी मॉ को वायस मैसेज भेजा था, लेकिन उसके बाद से तीनों युवकों का कोई पता नहीं है। अब तीनों के परिवारवालों ने एक वकील की मदद ली है जिसने आईजीआरएस सिस्टम के जरिये शासन में इस कबूरबाजी की शिकायत दर्ज करायी है।
रईस की मां रफीकुल ने बताया कि जब से बेटे से सपंर्क टूटा है पूरा परिवार सदमें है। चकेरी पुलिस के पास गए, लेकिन उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर लिए। पीड़िता ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से फरियाद की है कि उसके बेटे को सकुशल मलेशिया से यहां आने में मदद करें। रईस की पत्नी असराबानो ने कहा कि विदेशमंत्री भी किसी की मां और पत्नी है। मेरा शौहर मुसीबत में है। इसलिए मैं उनसे मांग करती हूं कि वह आगे आएं और हमारी मदद करें। रईस के पिता ने बताया कि कबूरतरबाज के खिलाफ हमने थाने में तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने अभी तक कार्रवाई नहीं की। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।