कानपुर

किसान ने मौत से पहले लिखा ये सुसाइड नोट, पढ़कर आप भी रो पड़ेंगे

सुसाइड नोट देख उड़ गये सभी के होश…

कानपुरNov 07, 2017 / 02:30 pm

नितिन श्रीवास्तव

किसान ने मौत से पहले लिखा ये सुसाइड नोट, पढ़कर रो पड़ेंगे आप

कानपुर देहात. उत्तर प्रदेश मे चाहे किसी राजनीतिक दल की सरकार आये सभी किसानों के हितों का दावा करते हैं लेकिन फिर भी गरीब किसानों की भूख से मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है। प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद किसानों के हितों के लिए उन्हें कर्ज माफी के तौर पर योगी सरकार ने बहुत बड़ी सौगात देने का दावा किया, जिससे कुछ किसानो के चेहरे भी खिले और सीएम योगी को उन गरीब किसानो ने दिल से दुवायें भी दी, लेकिन भले ही सरकार की मंशा किसानो के हित में कार्य करने की क्यों न हो। बावजूद इसके इसी सरकार की योजनाओं को सरकारी अफसर शाही ही उत्तर प्रदेश में पलीता लगाने का काम कर रही है। जिससे गरीब हो या गरीब किसान दोनों ही सरकार की योजनाओं के बावजूद दम तोड़ रहे हैं।
 

फरियाद करते-करते हारा किसान

एक ऐसा ही मामला कानपूर देहात के बेहरापुर रसूलाबाद गांव का है, जहां एक किसान ने सरकारी अनाज न मिलने पर गरीबी और भुखमरी के साथ सरकारी अफसरों की चौखट पर फ़रियाद करते-करते हार मान ली और हालातों से हारकर खुद को मौत के हवाले कर दिया। पुलिस को इस अन्नदाता की लाश के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमे जिले के अधिकारियों की कारुगुजारी से तंग आकर मौत को गले लगाने की बात मृतक अन्नदाता ने लिखी थी। पुलिस के हाथ जैसे ही यह सुसाइड नोट लगा तो पूरे जिले के प्रशासनिक अमले में हडकंप मच गया। और सुसाइड नोट को गायब कर दिया गया और जिस अन्नदाता को जीते जी किसी अधिकारी ने पूछा तक नहीं, उसकी मौत के बाद अधिकारियो ने पांच हजार रुपयों के साथ आटा व सुगर फ्री आलू तक इस अन्नदाता के बच्चो को भेट कर दी। लेकिन अभी तक शासन के उन योजनाओं की चादर उसके परिवार को नही मिल पा रही है, जिससे उसके मासूम बच्चे गुजर बसर कर सके। इसलिये पूरे परिवार की निगाहें योगी सरकार की तरफ टिकी हुयी है।
 

फिर उसने आजिज होकर मौत को गले लगा लिया

रसूलाबाद तहसील के अंतर्गत आने वाले बेहरापुर गाँव का नरोत्तम नाम का एक किसान अपने सात बच्चो के साथ गुजर बसर कर रहा था। खेती में फसल न होने के कारण नरोत्तम ने बच्चों का पेट पालने के लिये मजदूरी शुरू कर दी। जब मजदूरी का काम मिलना बंद हो गया तो नरोत्तम खुद से मायूस होने लगा था। इसी बीच सरकारी राशन की दुकान से नरोत्तम को यह कहकर अनाज नहीं दिया गया कि उसका कार्ड कैंसिल कर दिया गया है। जिसके बाद अब नरोत्तम को सरकारी अनाज भी नहीं मिल रहा था। काफी समय तक नरोत्तम ने जिलाधिकारी से लेकर कोटेदार की चौखट पर जाकर गुहार लगाई, बावजूद इसके नरोत्तम के हाथ मायूसी ही लगी और नरोत्तम के घर का चूल्हा तक नहीं जला। लेकिन जब चार दिन तक उसे व उसके परिवार को रोटी नसीब नही हुयी तो नरोत्तम ने आजिज होकर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
 

सुसाइड नोट देख उड़ गये सभी के होश

अपनी जीवनलीला समाप्त करने के पहले नरोत्तम ने एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपने सोसाइड करने की अहम वजह भी लिखी। इस सुसाइड नोट में लिखा था कि उसे सरकारी अनाज नहीं दिया जा रहा था, जिसके लिए वह काफी समय से जिले के आलाधिकारियो की चौखट के चक्कर काटते-काटते थक चुका है और बच्चो की भुखमरी उससे अब देखी नहीं जा रही है। जिसकी वजह से वह खुद ही आत्महत्या कर रहा है। इसमें उसके परिवार के खिलाफ कोई कार्यवाही न की जाए। घटना के बाद सुसाइड नोट की जानकारी होते ही अफसरों ने उसके परिवार को पांच हजार रुपये सहित राहत सामग्री दी, लेकिन अब सवाल ये है कि वह सहायता राशि उस गरीब परिवार को आखिर कब तक भूंख से बचायेगी।
 

पड़ोसी बोले 4 दिनों से खाना नहीं बना था

मृतक नरोत्तम के पड़ोसियो का भी कहना है कि नरोत्तमम की माली हालत ठीक नहीं थी। जिसकी वजह से उसने ऐसा किया है। इससे पहले भी वह कई लोगो से रूपये उधार लेकर परिवार पाल रहा था। पिछले चार दिनों से नरोत्तम के घर खाना तक नहीं बना था। सुसाइड नोट में नरोत्तम ने लिखा था। बच्चो की भूंख से वह परेशान था ओर अधिकारी राशन कार्ड नहीं बना रहे थे। जिसके कारण वह आत्महत्या कर रहा है। मृतक के पडोसी का कहना है कि जीते जी भले ही कुछ न मिला हो, लेकिन मरने के बाद खुद एसडीएम साहब यह सारा सामान देकर गए है। वही इस मामले में नरोत्तम के साथ अधिकारियों की चौखट तक लगातार जाने वाले शख्स ने भी बताया कि जिले के सभी अधिकारियो के पास चक्कर लगाने के बाद भी जब सरकारी अनाज के लिए नरोत्तम को तरसना पड़ रहा था ओर उसकी आंखों के सामने ही उसके बच्चे भूख से तड़पते थे। जिसकी वजह से उसने मौत को गले लगा लिया है।

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