इस तरह किसानों पर बढ़ा अतिरिक्त बोझ किसान छोटू राजावत निवासी अनंतपुर ने बताया कि ऐसी भीषण धूप में धान की फसल तैयार करने में नलकूप द्वारा करीब 15 बार सिंचाई करनी होती है। लेकिन पूरा माह गुजरने को है, बारिश की बूंद तक नहीं गिरी है। सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं। निजी नलकूपों से सिंचाई करने में किसानों को 200 से 300 रुपए प्रति घंटे का शुल्क देना होता है। वहीं जिनके पास निजी नलकूप हैं ऐसे किसानों को भी 100 से 125 रुपए डीजल की लागत पड़ती है। इन हालातों में किसानों की लागत बढ़ती जा रही है, जिससे किसानों को सिंचाई का दंश झेलना पड़ रहा है। धान की फसल बाली पर आ गई है। इस समय बारिश के आसार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में बालियों में बीज न पड़ने से पूरी फसल चौपट हो जाएगी। मजबूरन किसान फसल बचाने के लिए निजी नलकूपों से सिंचाई का जतन कर रहे हैं।
इस तरह दर्द बयां करते किसान सांधुपुर झींझक के किसान सर्वेश कुमार ने बताया कि सरकारी नलकूप न होने से बारिश के अभाव में प्राइवेट ट्यूबबेल से सिंचाई कर रहे हैं। परिवार के गुजर बसर के लिए बटाई पर खेती करते हैं, लेकिन इस बार मुनाफा की बजाय लागत भी निकालना मुश्किल दिख रहा है। सांधूपुर के किसान वीरेंद्र सिंह सहित अन्य किसानों ने बताया कि इस वर्ष बारिश न होने से किसानों पर भारी बोझ पड़ रहा है। गांव के समीप सरकारी नलकूप है, लेकिन करीब 6 माह से खराब पड़ा है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं। गरीब किसान निजी नलकूप संचालकों को शुल्क देकर खेतों में सिंचाई करा रहे हैं। जो अतिरिक्त बोझ के रूप में किसानों के लिए मुसीबत बढ़ा रहा है। इन समस्याओं से जूझते दिन रात मेहनत कर बेहतर उपज का सपना संजोये किसानों के सपने टूटते दिखाई दे रहे हैं।