मादा कीड़े के अवशेष से तैयार
विवि के एंटमॉलोजी विभाग में बुधवार को कंपनी के वैज्ञानिकों और सीएसए के वैज्ञानिकों ने छात्रों को इस फीरोमोन्स ट्रैपर (कैप्सूल) के बारे में जानकारी दी। एंटमॉलोजी विभागाध्यक्ष प्रो. डीआर सिंह ने कहा कि मादा अवशेष से तैयार किए गए ट्रैपर की ओर नर कीड़े आकर्षित होंगे और फंस जाएंगे। इससे इनकी संख्या पर लगाम कसी जा सकती है। चेन्नई से आए सेंटर के निदेशक प्रो. एस सीथानंथम ने विस्तार से जानकारी दी।
विवि के एंटमॉलोजी विभाग में बुधवार को कंपनी के वैज्ञानिकों और सीएसए के वैज्ञानिकों ने छात्रों को इस फीरोमोन्स ट्रैपर (कैप्सूल) के बारे में जानकारी दी। एंटमॉलोजी विभागाध्यक्ष प्रो. डीआर सिंह ने कहा कि मादा अवशेष से तैयार किए गए ट्रैपर की ओर नर कीड़े आकर्षित होंगे और फंस जाएंगे। इससे इनकी संख्या पर लगाम कसी जा सकती है। चेन्नई से आए सेंटर के निदेशक प्रो. एस सीथानंथम ने विस्तार से जानकारी दी।
सन एग्रो बायोटेक से हुआ करार
चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि और सन एग्रो बायोटेक रिसर्च सेंटर चेन्नई के बीच फीरोमोंस ट्रैपर को लेकर करार हुआ है। उत्तरप्रदेश में फीरोमोन्स ट्रैपर यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये काफी सस्ता है और आसानी से फील्ड में लगाया जा सकता है। सरकार इस ट्रैपर पर सब्सिडी भी दे रही है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि और सन एग्रो बायोटेक रिसर्च सेंटर चेन्नई के बीच फीरोमोंस ट्रैपर को लेकर करार हुआ है। उत्तरप्रदेश में फीरोमोन्स ट्रैपर यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये काफी सस्ता है और आसानी से फील्ड में लगाया जा सकता है। सरकार इस ट्रैपर पर सब्सिडी भी दे रही है।
किसानों को करेगा अलर्ट
यह ट्रैपर एक तरह से किसानों को अलर्ट कर देगा। इस ट्रैपर में चार से अधिक कीड़े फंस जाएंगे तो उनके नियंत्रण की तरकीब वैज्ञानिक बता सकेंगे। यही नहीं, अलग-अलग कीड़ों के लिए अलग फीरोमोंस कैप्सूल तैयार किया जाएगा। प्रो. डीआर सिंह ने कहा कि फसलों में लगने वाले कीटों की जानकारी समय से मिल जाए तो बायोफर्टिलाइजर से उन पर काबू पाया जा सकता है।
यह ट्रैपर एक तरह से किसानों को अलर्ट कर देगा। इस ट्रैपर में चार से अधिक कीड़े फंस जाएंगे तो उनके नियंत्रण की तरकीब वैज्ञानिक बता सकेंगे। यही नहीं, अलग-अलग कीड़ों के लिए अलग फीरोमोंस कैप्सूल तैयार किया जाएगा। प्रो. डीआर सिंह ने कहा कि फसलों में लगने वाले कीटों की जानकारी समय से मिल जाए तो बायोफर्टिलाइजर से उन पर काबू पाया जा सकता है।
रासायनिक खादों का विकल्प
जल्द ही किसानों को बोतल में यूरिया और डीएपी का विकल्प मिलने लगेगा। वैज्ञानिकों ने इन रासायनिक खादों का जैविक विकल्प तैयार कर लिया है। डॉ. एस सीतानंथम ने कहा कि जैविक विकल्प में ऐसे बैक्टीरिया बनाए गए हैं, जो नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम को खेतों में तेजी से बढ़ाएंगे। इससे रसायन वाले उर्वरक से निजात मिलेगी और फसल भी स्वास्थ्यवर्धक होगी।
जल्द ही किसानों को बोतल में यूरिया और डीएपी का विकल्प मिलने लगेगा। वैज्ञानिकों ने इन रासायनिक खादों का जैविक विकल्प तैयार कर लिया है। डॉ. एस सीतानंथम ने कहा कि जैविक विकल्प में ऐसे बैक्टीरिया बनाए गए हैं, जो नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम को खेतों में तेजी से बढ़ाएंगे। इससे रसायन वाले उर्वरक से निजात मिलेगी और फसल भी स्वास्थ्यवर्धक होगी।