एसडीएम सदर कोर्ट में संपत्ति से बेदखल करने वाले मुकदमों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। जब मुकदमों की तह और वजह की पड़ताल की गई तो अलग तरह की तस्वीर सामने आई। यह जानने की कोशिश की गई कि संपत्ति बेदखली के मामले आखिर क्यों बढऩे लगे। क्या वास्तव में सामाजिक बिखराव जैसी स्थिति है या फिर मुकदमों के पीछे कोई और वजह है। यह भी पता लगाया गया कि क्या वास्तव में बेटे अपने माता-पिता का उत्पीडऩ कर रहे हैं।
संपत्ति बेदखली के दायर मुकदमों की केस स्टडी की गई तो पता चला ज्यादातर मामलों में पहले बहू ने दहेज उत्पीडऩ का मुकदमा दाखिल कर रखा था और इससे बचने के लिए माता-पिता बेटों को कानूनी तौर पर संपत्ति से बेदखल करने के लिए कोर्ट की शरण में हैं। संपत्ति बेदखली के ज्यादातर मामलों में बेटे और बहू दोनों को ही संपत्ति से बेदखल करने का मुकदमा दाखिल किया गया है।
संपत्ति बेदखली के मामले बढऩे पर प्रशासन ने बीच का रास्ता निकाला। बढ़ रहे मामलों को कोर्ट के बाहर निस्तारित करने की कोशिश शुरू की गई। शासन ने एसडीएम कोर्ट में काउंसलर की नियुक्ति कर दी है। करीब एक महीने पहले तैनात किए गए सुलह अधिकार अनिल डिमरी को काम भी सौंप दिया गया है। कुल दर्ज किए गए मुकदमों में से 50 मामले काउंसलर को भेजे गए हैं। कोर्ट में तैनात काउंसलर सप्ताह में तीन दिन सुनवाई करेंगे।