अब है ऐसी तैयारी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कुछ समय पहले शासन की ओर से 12 करोड़ रुपए एमआरआई मशीन लगाने के लिए स्वीकृत हुए थे, लेकिन डॉलर की कीमतों में बदलाव के चलते मशीन की खरीददारी नहीं हो सकी. इसके बाद पैसा शासन में वापस चला गया. कहने को तो अनुबंध के आधार पर एलएलआर हॉस्पिटल में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर एमआरआई व सीटी स्कैन जांच कर रहा है, लेकिन यहां पढऩे की सुविधा नहीं है और इसका अनुबंध भी खत्म हो गया है. अब पीपीपी मोड पर यहां सीटी स्कैन मशीन लगाने को लेकर प्रयास हो रहे हैं. हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, डीजीएमई व सरकार को पार्टी बनाया गया है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कुछ समय पहले शासन की ओर से 12 करोड़ रुपए एमआरआई मशीन लगाने के लिए स्वीकृत हुए थे, लेकिन डॉलर की कीमतों में बदलाव के चलते मशीन की खरीददारी नहीं हो सकी. इसके बाद पैसा शासन में वापस चला गया. कहने को तो अनुबंध के आधार पर एलएलआर हॉस्पिटल में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर एमआरआई व सीटी स्कैन जांच कर रहा है, लेकिन यहां पढऩे की सुविधा नहीं है और इसका अनुबंध भी खत्म हो गया है. अब पीपीपी मोड पर यहां सीटी स्कैन मशीन लगाने को लेकर प्रयास हो रहे हैं. हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, डीजीएमई व सरकार को पार्टी बनाया गया है.