क्या है पूरा मामला
आईआईटी के एयरोस्पेस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सुब्रह्मण्यम सडरेला ने प्रोफेसर ईशान शर्मा, प्रोफेसर संजय मित्तल, प्रोफेसर राजीव शेखर और प्रोफेसर चंद्रशेखर उपाध्याय व एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कल्याणपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। इन चारो ंपर आरोप है कि इन्होंने ई-मेल के जरिए उनकी पीएचडी डिग्री के प्रति भ्रांतियां फैलाई और जातिसूचक अपशब्द कहे थे। सडरेला ने पूरे प्रकरण की शिकायत निदेशक से की थी। चार प्रोफेसरों की टीम ने मामले की जांच की और उन्होंने अपनी रिपोर्ट पर चारों को दोषी पाया। इसी के बाद सडरेला ने इनके खिलाफ पुलिस को तहरीर सौंपी।
फैलाई थी अफवाह
डॉक्टर सडरेला ने अपनी शिकायत में कहा है कि जुलाई 2017 में उन्होंने आईआईटी में नौकरी के लिए आवेदन किया। 26 दिसंबर को बाहरी विशेषज्ञों ने जांच के बाद उनकी नियुक्ति की सिफारिश की और 28 दिसंबर 2017 को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला। एक जनवरी 2018 को उन्होंने एयरोस्पेस विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। आरोप है कि चार जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान प्रोफेसर संजय मित्तल ने व्यंगात्मक व अपमानजनक टिप्पणी की। इसके बाद उनकी नियुक्ति को अनुपयुक्त करार करते हुए परिसर में इस बात को फैलाया जाने लगा। डॉक्टर सडरेला ने निदेशक को पूरे प्रकरण से अवगत करा इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा। टीम ने जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी संस्थान ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की।
आयोग से लगाई गुहार
प्रोफेसर सडरेला ने चारों प्रोफेसर पर कार्रवाई नहीं होने पर इसकी शकायतएससी-एससी आयोग से की थी। उनकी शिकायत पर दस अप्रैल 2018 को आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में सुनवाई हुई और उसी दिन कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए। फिर भी संस्थान के अलाधिकारी उन्हें बचाने के लिए लगे रहे। इसी दौरान कार्रवाई के चलते चारों प्रोफेसर हाईकोर्ट चले गए जहां से उन्हें स्टे मिल गया। राजीव शेखर इस वक्त आइआइटी कानपुर में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर रहे व वर्तमान में आईआईटी आईएसएम के निदेशक हैं। वहीं प्रोफेसर चंद्रशेखर उपाध्याय एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर पद पर तैनात हैं। इसके अलावा संजय मित्तल : एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर हैं तो वहीं ईशान शर्मा मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर हैं।
हो सकता है विद्रोह
आईआईटी कानपुर के चार प्रोफेसरों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद कैम्पस के अंदर महौल गर्म है। यहां टीचर व छात्र व खेमों में बंट गए हैं और मुकदमा का विरोध करने का लिए जुटे हैं। एक प्रोफेसर ने बताया कि पूर्व निदेशक मणीन्द्र अग्रवाल चाहते तो मामला निपट जाता, लेकिन उन्होंने इस पर उचित कदम नहीं उठाया। जिसके चलते संस्थान की क्षवि पर असर पड़ा है। प्रोफेसर की मानें तो डॉक्टर सडरेला के आरोप कुछ हद तक सही हैं। चारों प्रोफेसर समझौते को भी तैयार हैं, लेकिन वो उन्हें जेल भेजना चाहता है। अगर चारों प्रोफेसर जेल भेजे गए तो संस्थान में विद्रोह हो सकता है।