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दिल के छेद को बिना ऑपरेशन के किया बंद, मौत को हरा डाॅक्टर ने लाडो की बचाई जान

locationकानपुरPublished: Apr 23, 2019 04:32:46 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

कार्डियालाजी के डाॅक्टरों ने कर दिया कमाल, 10 साल की किशोरी के दिल के छेद को बिना आपरेशन के किश बंद, यूपी का ये पहला मामला, जान बचने पर परिजन गदगद।

first time treatment of telescope in the cardiology in kanpur

दिल के छेद को बिना ऑपरेशन के किया बंद, मौत को हरा डाॅक्टर ने लाडो की बचाई जान

कानपुर। बचपन से दिल में छेद था। माता-पिता अपनी लाडो को बचाने के लिए शहर के अलावा दिल्ली और लखनऊ के डाॅक्टरों के पास लेकर जाकर इलाज कराया। लाखों रूपए लग जाने के बाद भी मर्ज ठीक नहीं हुआ तो डाॅक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए। इसी बीच जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही बेटी को बचाने के लिए पिता उसे कार्डियोलॉजी लेकर आया। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके सिन्हा व उनकी टीम ने महज 20 मिनट के अंदर बिना ऑपरेशन दूरबीन विधि से दिल का छेछ बंद कर दिया गया। दूरबीन विधि से दिल के छेद को उपकरण लगाकर बंद किए जाने का कार्डियोलॉजी में यह पहला मामला है।

दिल में था छेद
अकबरपुर निवासी राजीव की 10 साल की बेटी काजल के दिल में छेद था। पिता अपनी मासूम को बचाने के लिए बड़े-बड़े डाॅक्टरों के पास लेकर गया, लेकिन सबने हाथ खड़ कर लिया। बेटी के इलाज में घर-जमीन और पत्नी के जेवरात बिक गए पर लाडो का दर्द ठीक नहीं हुआ। पड़ोसी के कहने पर काजल को लेकर उसके पिता कार्डियोलॉजी लेकर आए और डाॅक्टर सिंहा को दिखाया। चेकअप के बाद काजल के दिल में छेद था। उन्होंने उसे एडमिट कर लिया और बिना आपरेशन किए महज 20 मिनट के अंदर दूरवीन के जरिए छेद को बंद कर मासूम को नया जीवन दिया।

निशुल्क में इलाज
काजल के पिता ने बताया कि बेटी का इलाज असाध्य रोग निशुल्क उपचार योजना के तहत किया गया। डॉक्टर सिंहा के मुताबिक वेंटरीकुलआर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) की बीमारी में दिल के छेद को उपकरण लगाकर बंद किए जाने का यह उत्तर भारत का पहला मामला है। कार्डियोलॉजी के डाॅक्टर इस पर शोध कर रहे थे। काजल के दिल के छेद को भरने के बाद हमें कामयाबी मिली। आने वाले वक्त में अब इसी के जरिए मरीजों को इलाज किया जाएगा। इस पद्धति के जरिए जहां मरीज को ज्यादा दिक्कत नहीं होती तो वहीं पैसा भी कम लगता है।

कुछ इस तरह से बोले विशेषज्ञ
काजल का इलाज करने वाले कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके सिन्हा ने बताया कि मररीज को जन्म से ही सर्दी-जुकाम, घबराहट और सांस की तकलीफ रहती थी। उसका कार्डियोलॉजी में परीक्षण कराया गया। जांच में छह मिमी मस्कुलर वीएसडी का पता चला। बाद में इसे बिना किसी चीरफाड़ के उपकरण लगाकर बंद कर दिया गया। अमूमन ओपन हार्ट सर्जरी से इस रोग का इलाज होता है। निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा ने बताया कि वीएसडी की ओपन हार्ट सर्जरी एक जटिल प्रक्रिया है। रोगी की विस्तृत जांच के बाद निर्णय हो पाता है कि वह डिवाइस क्लोजर के लिए उपयुक्त है।

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