ब्राह्मणों को साधेंगे शुक्ला
राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला भी प्रियंका की टीम में अहम रोल निभाएंगे। गांधी परिवार के करीबी पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला दर्शनपुरवा के हैं। उन्हें बीते लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चुनने का भी जिम्मा सौंपा गया था। शहर की सियासत को बखूबी समझने वाले शुक्ला को प्रदेश कमेटी में रणनीति व योजना समिति (स्ट्रेटजी एंड प्लानिंग कमेटी) का सदस्य बनाया गया है। उनके जरिये ब्राह्मणों को भी साधने की कोशिश है। कांग्रेस के लिए राजीव शुक्ला संगठन से लेकर कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्री पद पर भी रहे हैं।
कनिष्क को मिला प्रमोशन
कांग्रेस ने अब नए सिरे से पैठ बनाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में कानपुर से युवा नेता कनिष्क पांडेय को शामिल किया गया है। कनिष्क एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष उप सेंट्रल और वर्तमान में ऑल इंडिया कांग्रेस कोमेटी में सदस्य है। 2014 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कनिष्क ने पार्टी के लिए जमीन स्तर पर कार्य किया है। कांग्रेस के आंदोलन के अलावा पार्टी को एकसाथ लाने में इनका अहम रोल रहा है।
राकेश सचान भी टीम का हिस्सा
लोकसभा चुनाव के समय सपा का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद राकेश सचान ने भी प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाई है।वह काफी वरिष्ठ नेता हैं और कानपुर नगर से जुड़े घाटमपुर और फतेहपुर क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके साथ ही वह सांसद भी रह चुके हैं। राकेश सचान की अपने समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है। घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से राकेश विधायक भी चुने गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त अखिलेश यादव ने गठबंधन के तहत फतेहपुर सीट बसपा को दे दी थी। जिसके कारण राकेश सचान का टिकट कट गया और उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
पूर्व विधायक का नाम भी लिस्ट में
कांग्रेस कमेटी को सलाह देने के लिए बनाई गई काउंसिल में पूर्व विधायक अजय कपूर को शामिल किया गया है। अजय कपूर कांग्रेस से तीन बार विधायक चुने गए। पूर्व विधायक अजय कपूर की गिनती कानपुर में श्रीप्रकाश जायसवाल के बाद सबसे दिग्गज नेताओं में होती है। पूर्वमंत्री से मनमुटाव के कारण वह पिछले पांच सालों से पार्टी की गतिविधियों से अपने को दूर रखा। 2019 के चुनाव के वक्त उन्होंने टिकट की दावेदारी की, लेकिन पार्टी ने श्रीप्रकाश को चुनाव के मैदान में उतारा। पर वह भाजपा के सत्यदेव पचैरी से चुनाव हार गए। इसी के बाद अजय कपूर का कद पार्टी में बढ़ गया और उन्हें प्रियंका गांधी की टीम में जगह दी गई।
राजाराम पाल को भी जगह
कानपुर देहात से सांसद रहे राजाराम पाल को नीति और योजना बनाने वाले ग्रुप में शामिल किया गया है। राजराम पाल 2009 से पहले बसपा में थे और सांसद का चुनाव भी जीते। लेकिन मायावती ने एक मामले में उनका नाम आने के बाद पार्टी से बाहर कर दिया। राजजाराम पाल ने कांग्रेस की सदस्यता ली और 2009 का चुनाव लड़ा औी जीता भी। राजाराम पाल की पहचान जमीनी नेता के तौर पर होती है। वह पहले भी राहुल गांधी की टीम के अहम सदस्य रहे हैं।
युवाओं पर ज्यादा भरोसा
पिछली बार पीसीसी में करीब 500 सदस्य थे, जिनकी संख्या इस बार घटाकर 41 कर दी गई है, ताकि एक निश्चित समय अंतराल के बाद आसानी से कमेटी की बैठक हो सके और प्रभावी रणनीति बनाई जा सके। कमेटी के सदस्यों की औसत आयु 40 वर्ष है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने में युवाओं पर ज्यादा भरोसा किया है। जातिगत समीकरण के लिहाज से देखें तो नई पीसीसी में करीब 45 फीसदी प्रतिनिधित्व पिछड़ी जातियों का है। अति पिछड़ी जातियों पर ज्यादा फोकस रहा है। 20 प्रतिशत दलित और 15 प्रतिशत मुस्लिम नेता है। लगभग 20 फीसदी सामान्य वर्ग के नेताओं का प्रतिनिधित्व है।