इस तरह दिव्यांगो को ग्लव्स करेगा अलर्ट निर्भय ने बताया कि ब्लाइंड ग्लव्स में एक अल्ट्रासोनिक सेंसर और नौ वोल्ट की बैट्री से जुड़ी वाइब्रेट मोटर भी लगाई गई है। इसे पहनकर चलते समय दृष्टिहीन सख्स के सामने या अगल-बगल 90 सेमी.की दूरी पर कोई बाधा कुर्सी, मेज, पत्थर या खड़ा वाहन कुछ भी आएगा तो ग्लव्स वाइब्रेट होने लगेंगे। इससे उन्हें संदेश मिल जाएगा कि आगे कुछ गड़बड़ है। जिससे वह खुद को संभाल सकेंगे। निर्भय ने बताया कि इन ग्लव्स में की गई कोडिंग से यह जल्दी खराब नहीं होंगे। अगर कोई खराबी आती है तो यह किसी भी बिजली उपकरण की दुकान पर ठीक हो सकेगा।
ग्लव्स को बनाने में लगा एक महीने का समय स्कूल के भौतिकी के शिक्षक व टिंकर इंडिया लैब के संस्थापक कौस्तुभ ओमर ने बताया कि इस ग्लव्स तैयार करने में निर्भय को एक महीने का समय लग गया। ग्लव्स की लागत करीब 500 रुपये तक आई है। इसका प्रोटोटाइप स्टेम रोबो टेक्नोलाजी नोएडा को भेजा गया। उसने भी उसका परीक्षण किया है। अब इसे पेटेंट कराने की तैयारी है। इसके बाद बाजार में लाने के लिए कंपनियों से संपर्क किया जाएगा। बड़ी संख्या में उत्पादन पर कीमत भी कम होगी।