इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं के खून की जांच भी करा कर देखना होगा कि इनमें खून की कमी तो नहीं है, जिससे उसका होने वाला बच्चा कुपोषित पैदा ना हो सके। जांच में खून की कमी पाई जाए तो उसका इलाज किया जाए। कुपोषित बच्चों के परिवारों हेतु शौचालय पेयजल, व्यवस्था हेतु संबंधित अधिकारी इनकी पूर्ति कराकर सुविधाएं उपलब्ध कराएं। नवजात शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने पर स्वास्थ्य विभाग ध्यान दें। यह दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है और इसको पिलाने से बच्चा कई प्रकार के रोगों से बचा रहता है।
उन्होंने कहा कि सुपोषित गांव बनाने हेतु कुपोषित बच्चों के परिवारों को अनलाइन आवेदन कराकर राशन कार्ड उपलब्ध कराए जाएं। पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों के पोषण आहार तथा इलाज का उचित प्रबंध रहे, जिससे वह कुपोषण से बाहर आ सके, जो आंगनवाड़ी केंद्र निर्मित हो चुके हैं। उनको हस्तगत करने की कार्यवाही अमल में लाएं। कार्यालयों को साफ सुथरा बनाने हेतु इनकी सफाई, कराई जाए और व्यवस्थित तरीके से सामग्री रखी जाए, इधर-उधर बिखरी ना दिखे। अगले 15 दिनों के अंदर सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर विद्युत, पेयजल एवं शौचालय व्यवस्था हो जानी चाहिए। अन्यथा संबंधित जिला स्तरीय अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे और उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।