दरअसल आपको बता दें कि वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को जनपद गाजीपुर के धामपुर गांव में हुआ था, वो एक साधारण परिवार से थे। इनके पिता उस्मान सेना में थे। देश सेवा करने का जज्बा वीर अब्दुल हमीद में भी जाग्रत हुआ और पढ़ाई करने के बाद सेना में भर्ती हो गए। कुछ समय बाद उनको कंपनी क्वाटर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद मसऊदी भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में एक सिपाही बनाया गया। वीर अब्दुल हमीद के अंदर देश के लिये कुछ करने का जज्बा था। सन 1947 में मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान नही सुधरा और सन 1965 में युद्ध के लिये अमृतसर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। युद्ध के हालात देख जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी और जवानों को वापसी का संदेश भेजा गया। जैसे ही सन्देश वीर अब्दुल हमीद के घर पहुंचा। सन्देश देखते ही वीर अब्दुल हमीद अपना सामान बांध घर से निकल लिये।
पत्नी रसूलन बीवी ने जाने से रोका तो वीर अब्दुल हमीद ने जवाब देकर कहा कि इस समय मेरे देश से बढ़कर कोई नही और घर से निकलकर अपनी ड्यूटी पॉइंट पहुंचे। 10 सितंबर 1965 की भारत पाक युद्ध में अकेले लड़ते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और उनके 7 टैंकों को नष्ट कर दिया था। खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गये युद्ध में अदभुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सेना परमवीर चक्र दिया गया। आज ऐसे महापुरुष की प्रतिमा की दुर्दशा बनी हुई है ऐसे हमारे देश के परमवीर चक्र विजेता की प्रतिमा के लिये आज लोगो ने साफ सफाई , सुंदरीकरण के लिये आवाज उठाई है लोगो का मानना है कि यहाँ जब से वीर अब्दुल हमीद की प्रतिमा लगाई गई है। तब से किसी ने साफ सफाई पर ध्यान नही दिया। उनका मानना है कि जैसे हर महापुरुष का जन्मदिन मनाया जाता है, वैसे वीर अब्दुल हमीद का भी जन्मदिन अच्छे मनाया जाये और भोगनीपुर चौराहे को वीर अब्दुल हमीद चौराहा घोषित किया जाये।