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पूर्व दस्यु सुंदरी की हुंकार, फिर से उठा ली बंदूक तो निशाना होंगे शासन व प्रशासन

locationकानपुरPublished: Jan 31, 2018 01:47:45 pm

उत्तर प्रदेश में आजकल जहां एक ओर अपराधी बेख़ौफ़ होकर ताबड़तोड़ वारदाते कर शासन प्रशासन की नाक में दम कर रहे है।

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कानपुर देहात. उत्तर प्रदेश में आजकल जहां एक ओर अपराधी बेख़ौफ़ होकर ताबड़तोड़ वारदाते कर शासन प्रशासन की नाक में दम कर रहे है। वहीं दूसरी ओर हमारे उत्तर प्रदेश की पुलिस ने भी अपराध को कम करने का नया फार्मूला निकाल लिया है। उस फार्मूला का नाम एनकाउंटर है। इस शब्द का नाम सुनते ही अपराधियों के माथे पर पसीना आ जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ पुलिस ने एनकाउंटर के नाम का ऐसा खेल खेला, जो किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। दरअसल जिस मुकेश राजभर को पुलिस ने 27 जनवरी के दिन पेट्रोल पम्प लूट के दौरान पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की बात कही। वह पूरी तरह से फर्जी ही है। पुलिस की इस काली करतूत का खुलासा खुद पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव ने किया।

उन्होंने शासन प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए ये एलान किया है कि अगर उसको न्याय न मिला तो वह फिर से हथियार उठाने को मजबूर होगी और अबकी उसके निशाने पर सिर्फ शासन और प्रशासन होंगे। सीमा की मानें तो शासन के इशारे पर पुलिस ने मुकेश का एनकाउंटर किया है और उसका असली निशाना सीमा यादव है। दरअसल पुलिस ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए ही मुकेश को मोहरा बनाया है एवं उसका फर्जी एनकाउंटर किया है। कुछ दिन पहले आजमगढ़ में बंदी रक्षक की दो बाइक सवारों ने हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिस बैकफुट पर थी। वह हत्यारो को तो पकड़ने में अभी तक नाकाम ही रही, लेकिन मुकेश का एनकाउंटर करके अपनी झूठी वाहवाही करने में जुटी हुई है। सीमा की माने तो वह बिलकुल निर्दोष है। पुलिस ने उसका गलत तरीके से फर्जी एनकाउंटर किया है। वह शासन से सीबीआई जांच की मांग करती है।

घर के बाहर खड़े बूढ़े माँ बाप और अपने भाई को खो चुकी उसकी दोनों बहने आज भी उसका इंतजार करते है। क्योकि आजमगढ़ के रहने वाले मुकेश राजभर के घर में दोनों बहनो व माँ बाप का रो रोकर बुरा हाल है। उनको यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। दरअसल अठारह वर्षीय मुकेश राजभर पिछले आठ नौ महीने से पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव के यहाँ काम ? कर रहा था। सीमा ने बताया की वह उनके यहाँ 6 हजार रुपये में नौकरी करता था। वह उनके प्रॉपर्टी डीलिंग के काम में मदद करता था तथा बाकी समय में उनकी चौदह महीने की बच्ची की देखरेख करता था और उसी पैसो से वह अपने माता पिता के घर का खर्चा चलाता था। मुकेश बहुत ही गरीब परिवार से था। उसके घर का हाल ऐसा था कि घर पर सीमेंटेड छत तक नहीं है। पुलिस जिस मुकेश को पचास हजार का इनामी बता रही है। उस पर कोई ख़ास संगीन धाराओं में मुक़दमे भी नहीं थे।

सीमा ने बताया कि उसने कोई अपराध नहीं किया, लेकिन पुलिस ने उसका फर्जी एनकाउंटर किया। सवाल ये है कि जब पुलिस ने मुकेश को 26 जनवरी की सुबह कानपुर देहात के अकबरपुर कोतवाली के सामने रहने वाली सीमा यादव के घर के पास से उठाया तो उसने 27 जनवरी को पेट्रोल पंप में कैसे लूट कर ली। इस मामले में पुलिस पूरी तरह से फंसती नजर आ रही है और सीमा ने बताया की मुकेश उसकी बेटी को 26 जनवरी के दिन सुबह नौ बजे के करीब घर पर झंडा रोहण करने के बाद टहलाने ले गया था। वही से काले कलर की गाडी से पुलिस ने उसे उठाया और अगले दिन उसका फर्जी एनकाउंटर कर दिया, लेकिन पुलिस की पोल खुलने के बाद अब प्रशासन कोई भी जवाब देने से डर रहा है। दूसरी तरफ सीमा यादव के बयांन ने उनकी बेचैनी और बढ़ा दी है। जिसमे उन्होंने साफ़ कहा कि अगर न्याय नहीं मिला तो वह फिर से हथियार उठाने को मजबूर होंगी और अबकी उनका निशाना शासन और प्रशासन ही होगा।

अपराधियों पर सिकंजा कसना या अपराधियों को सजा देना अच्छी बात है लेकिन अपने पावर का गलत इस्तेमाल करके अपनी वाहवाही लूटना लोकतंत्र में कहाँ तक जायज है, लेकिन आजमगढ़ के पुलिस कप्तान अजय साहनी अब अपनी बहादुरी दिखाने के चक्कर में खुद फंसते नजर आ रहे है। लोकतंत्र में किसी भी निर्दोष की बिना अपराध के एनकाउंटर करना सीधे-सीधे हत्या करना होता है और अजय साहनी ने एनकाउंटर स्पेस्लिस्ट में खुद का नाम शामिल करने के चक्कर में एक निर्दोष का फर्जी एनकाउंटर कर डाला। अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि आखिर अब शासन और प्रशासन कैसे इस मामले को निपटाते है।

सीमा यादव वर्तमान में निर्धन समाज पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी है। अब देखना होगा की क्या शासन इस मामले की सीबीआई जांच कराने को राजी होते है। क्यूंकि अगर सीबीआई जांच हुई तो पूरे एनकाउंटर में पुलिस विभाग ही खुद फंस जाएगा। अब देखना होगा की पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव को सरकार से अब न्याय मिलता है या फिर वह फिर से न्याय के लिए उसी रास्ते पर चली जायेगी। जहाँ के दलदल से वह निकलकर आयी है और फिर से न्याय पाने के लिए हथियार उठा लेगी। अब गेंद शासन के पाले में है। देखना ये होगा कि शासन इस मामले पर क्या कार्यवाही करता है।

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