कानपुर

चुनाव में पहली बार दहाड़ेंगे पाठा के बागी, मलखान के साथ ही एक्टिव ददुआ फेमली

बांदा.चित्रकूट से ताल ठोकने को तैयार हैं पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह के साथ ही ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल, नहीं मिला सिंबल तो चुनाव में उतरेंगे पूर्व बागी।

कानपुरMar 16, 2019 / 11:57 pm

Vinod Nigam

चुनाव में पहली बार दहाड़ेंगे पाठा के बागी, मलखान के साथ ही एक्टिव ददुआ फेमली

कानपुर। बुंदेलखंड में ’मिनी चंबल’ के नाम से चर्चित पाठा क्षेत्र में तीन दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे दस्यु ददुआ के भाई और पूर्व सांसद बालकुमार पटेल इस बार बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी से टिकट मांगा है तो दस्यू सम्राट मलखान सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से चित्रकूट-बांदा सीट से टिकट की दावेदारी कर राजनीतिक दलों के अंदर हलचल तेज कर दी है। क्षत्रीय, कुर्मी, आदिवासी बाहूल्य सीट में दोनों का अच्छा रसूख है। दोनों ने साफ तौर पर कह दिया है कि यदि उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो अन्य विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।

बन सकते हैं गेमचेंजर
अखिल भारतीय खंगार क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय संरक्षक व चंबल के पूर्व दस्यु मलखान सिंह ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। संसदीय क्षेत्र बांदा-चित्रकूट में सजातीय करीब दो लाख मतदाताओं के भरोसे राजनीतिक पारी को लेकर वह आशांवित हैं। वहीं, प्रदेश में 55 लाख सजातीय वोटों के दम पर गेम चेंजर बनने का ताना-बाना बुन रहे हैं। मलखान सिंह ने पत्रिका से खास बातचीत के दौरान कहा कि वो जेल से बाहर आने के बाद अन्य दस्युओं के साथ एक संगठन खड़ा किया। हमारे साथ बंदूक छोड़ चुके करीब 700 पूर्व बागी हैं। हम जंगल, गांव और गरीब के विकास कि लिए राजनीति में उतरे हैं। भाजपा से टिकट मांगा है। यदि पार्टी किसी अन्य को यहां से उतारती है तो हम दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं।

आमद लाएगी सरगर्मी
मलखान की राजनीतिक पारी कितनी सफल होगी, यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है कि बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से पूर्व दस्यु मलखान सिह ताल ठोकते हैं तो यहां चुनाव काफी रोचक हो जाएगा। इसकी एक वजह यह भी है कि बुंदेलखंड के चुनावों में डकैतों का हस्तक्षेप शुरू से किसी न किसी तरह रहा है, जो उनकी शरणस्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसे में मलखान की आमद यहां सरगर्मी बढ़ाएगी। मलखान सिंह का चित्रकूट के अलावा बांदा के अच्छा प्रभाव दिखा। बबुरू निवासी रघुबरन सिंह कहते हैं कि दस्यू जुबान के पक्के होते हैं। राजनीतिक दलों को अब अपनी सोंच बदली होगी। समाजसेवा से जुड़े लोगों को टिकट देना होगा।

13 विधानसभाओं में थी दखल
बुंदेलखंड में कुख्यात डकैत रह चुके ददुआ उर्फ शिव कुमार कुर्मी का राजनीतिक दखल कम से कम 13 विधानसभा व आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में रहा है। शुरुआती दौर में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थक रहा। कामरेड रामसजीवन सिंह कुर्मी जहां कर्वी विधानसभा सीट से चार बार विधायक बनें, वहीं भाकपा से दो बार सांसद भी निर्वाचित हुए थे। इसके बाद रामसजीवन बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए तो ददुआ बसपा का समर्थक बन गया और तब पाठा की धरती पर ’मुहर लगेगी हाथी में, वरना गोली धंसेगी छाती में’ का नारा आम हो गया था। इसके बाद ददुआ का पूरा कुनबा अखिलेश की साइकिल पर सवार हो गया और 2007 में मायावती ने उनका एनकाउंटर करवा दिया।

ददुआ के भाई दे सकते हैं टक्कर
15वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में खुद बालकुमार मिर्जापुर सीट से सांसद बन गए। हालांकि आर.के. पटेल भी इसी चुनाव में सपा से ही बांदा के सांसद निर्वाचित हुए। माना जा रहा है कि इस लोकसभा चुनाव में बालकुमार के विरोध की वजह से ही सपा ने आरके. पटेल को बाहर का रास्ता दिखाया था। 2019 के लिए बालकुमार पटेल ने बांदा-चित्रकूट से टिकट मांगा, पर अखिलेश ने भाजपा इकनी जगह भाजपा से आए श्यामशरण को साइकिल का हैंडिल थमा दिया। इससे अब कयाब लगाए जा रहा हैं कि ददुआ फेमली सपा का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम सकते है। खुद बालकुमार पटेल ने इसकी तरफ इशारा भी कर दिया है।

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