scriptइंदिरा की पुलिस जल्लाद बन नाखून के साथ उखाड़े थे मूछों के बाल | Former Prime Minister Indira Gandhi on emergency Unknown Facts | Patrika News

इंदिरा की पुलिस जल्लाद बन नाखून के साथ उखाड़े थे मूछों के बाल

locationकानपुरPublished: Jun 24, 2019 01:06:59 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

पूर्व विधायक कहते हैं, भले ही यह दर्द 44 साल पुराना हो लेकिन इसकी सिहरन अभी भी हमारे जेहन में ताजा है, ऐसा जुल्म तो अंग्रेजों ने भी नहीं ढाए थे।

Former Prime Minister Indira Gandhi on emergency Unknown Facts

इंदिरा की पुलिस जल्लाद बन नाखून के साथ उखाड़े थे मूंछों के बाल

कानपुर। 44 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था, जिसकेकारण सैकड़ों लोगों को जेल भेजा गया था। इंदिरा की पुलिस विरोधियों पर जल्लाद की तरह कहर बरपाया था। ब्रिटिश सरकार से ज्यादा जुल्म ढाए । पानी मांगने पर मूंछों के बाल उखाड़ लिए जाते थे। विरोध करने पर हाथों की अंगुलियों के प्लास के जरिए नाखून निकाल लेते थे। जेलर बंदियों को नीम के पेड़ में उलटा लटकाकर पिटवाता था। घाटमपुर विधानसभा के पूर्व विधायक पंडित राम आसरे अग्रिहोत्री (83) भी उन्हीं में से एक थे, जिनके सामनें बंदियों कों ये यातनाएं देखीं और सहीं।

21 माह तक जेल में रहे
मूलरूप से घाटमपुर निवासी पूर्व विधायक पंडित राम आसरे अग्रिहोत्री वर्तमान में यशोदानगर कानपुर में रहते हैं। बताते हैं कि, 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आधी रात में इमरजेंसी लागू कर दी थी। हमारे जैसे लाखों कार्यकर्ता मीसा व डीआइआर लगा कर जेल में ठूंस दिए गए । इसी बीच पिता जी की मृत्यु हो गई लेकिन जेल में इसकी सूचना नही दी गई। 21 मार्च, 1977 को आपातकाल खत्म हुआ, तो 21 माह बाद उन्नाव जिला जेल से रिहाई हुई। जेब में एक फूटी कौड़ी न थी। बगैर टिकट ट्रेन में सवार होकर घाटमपुर पहुंचे और इंदिरा गांधी के खिलाफ जनआंदोलन की आगवाई की। बिना एक पैसा खर्च किए जनता ने हमें अपना जनप्रतिनिधि चुना और देश, प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया।

चौराहे से पुलिस ने उठाया
आपातकाल की यातनाओं को याद कर आज भी सिहर उठने वाले पूर्व विधायक राम आसरे अग्रिहोत्री बताते हैं कि वो पिता के साथ मजदूरी के लिए जा रहे थे। चौराहे पर भीड़ को देख कर हम रूक गए। तभी घाटमपुर कोतवाल पुलिस फोर्स के साथ आया और हमारे साथ सभी को घेर लिया। ऐसा लगा रहा था मौनो पुलिस डकैत या खूनी को पकड़ने आई हो। पुलिस हमारे साथ 15 अन्य लोगों को कोतवाली लेकर आई। पूरी रात एक कोठरी में बंद रखा और लाल-घुसों से पीटा। सुबह पुलिस ने कानपुर जेल भेजा, लेकिन जगह नहीं होने के कारण हमसभी को उन्नाव जेल में रखा गया।

पेड़ में उलटा लटकाकर पीटा
पूर्व विधायक बताते हैं कि कानपुर की तरह उन्नाव जेल में बंदी भूसे की तरह भरे गए थे। जेल में कपड़े, रहने-खाने की समुचित व्यवस्था नहीं थी। छोटी सी बैरक में तीन सौ लोग बंद थे। लेटना तो दूर बैठने में भी दिक्कत थी। हमलोगों ने जेल के अंदर आमरण अनशन शुरू कर दिया तो जेलर सहित सिपाही आ धमके और फिर कई बंदियों के हमारे सामनें अंगुलियों से नाखून उखाड़ लिए। हमें उल्टा लटकाया गया। प्यास लगने पर पानी मांगी तो इंदिरा की खलनायक पुलिस ने मूत्र पिलाया। ऐसे कई बंदी थे, जिनके पैरों में होले की बेड़ियां पड़ी थीं।

21 माह तक नहीं बदले कपड़े
पूर्व विधायक बताते हैं कि हम लोगों को शारीरिक ही बल्कि मानसिक यातनाएं भी दी गईं। परिजनों के भेजे पत्र पहले जेलर पढ़ते थे। फिर हमें देकर वापस ले लेते थे। मिलाई संभव नहीं थी। बताते हैं, 21 माह तक हम वही कपड़े पहनकर रहे। जेल से जब रिहा किया गया तो पिटाई के कारण शर्ट पूरी तरह से फट चुकी थी। पायजामा खून से लाल था। पैरों में जान नहीं थी। किसी तरह से कानपुर आए और यहां से ट्रेन के जरिए घाटमपुर पहुंचे।

3 घंटे दिया था भाषण
पूर्व विधायक बताते हैं कि इंदिरा गांधी के जुल्म सितम से लोगों को रूबरू करानें के लिए हमनें घाटमपुर जब स्टैंड के पास खड़े होकर बिना रूके तीन घंटे तक भाषण दिया था। एक-एक जख्म के बारे में आमलोगों को बताया। सच्चाई सुनकर लोग रो पड़े। तभी हमनें ऐलान कर दिया था कि अब घाटमपुर से कांग्रेस को उखाड़ना है। जनता ने दो हजार का चंदा कर हमें दिया। विधानसभा चुनाव में उतरे और जीतनें के बाद अपने घर जाकर मां का आर्शीवाद लिया। यही वजह रही कि 44 सालों से घाटमपुर में कांग्रेस कभी नहीं जीती।

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