कानपुर

23 वर्षों से यहां सपा का था कब्जा, इस बार बीजेपी के इस दिग्गज ने ढहा दिया किला

कांटे की लड़ाई के बाद इस बार 23 वर्षों के बाद भाजपा के इस दिग्गज नेता ने यहाँ कमल खिला दिया।

कानपुरMay 26, 2019 / 04:56 pm

Arvind Kumar Verma

23 वर्षों से यहां सपा का था कब्जा, इस बार बीजेपी के इस दिग्गज ने ढहा दिया किला

कानपुर देहात-इस 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देने के किये सपा ने बसपा से गठबंधन किया। इससे बसपा का तो खाता खुल गया लेकिन सपा को खासा नुकसान उठाना पड़ा। गठबंधन होने के बावजूद सपा अपने मजबूत गढ़ों को भी नही बचा सकी और ढेर हो गई। यहां तक कि सपा अपनी पारंपरिक सीट कन्नौज को भी नही बचा सकी, जहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव भी हार गईं। जबकि 2014 के चुनाव में मोदी लहर होने के बावजूद डिंपल यादव ने करीब 19 हजार मतों से सुब्रत पाठक को कन्नौज से ही हराया था। कांटे की लड़ाई के बाद इस बार 23 वर्षों के बाद सुब्रत पाठक ने कन्नौज में कमल खिला दिया और 12353 मतों से डिम्पल यादव को हरा दिया।
 

यहीं से खुले राजनीति के सही रास्ते

यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट सपा के लिए बहुत अहम सीट मानी जाती है। 1999 में सपा पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी कन्नौज और संभाल से चुनाव लड़कर जीते थे। इसके बाद उन्होंने कन्नौज सीट छोड़ दी थी। बाद में उपचुनाव में यहां से अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी। इसके बाद वह यूपी के मुख्यमंत्री बने तो ये सीट उनकी पत्नी डिंपल यादव ने संभाल ली। उनका राजनीतिक सफर भी यहीं से शुरू हुआ। देखा जाए तो पिछले 23 सालों से इस सीट पर सपा का कब्जा था। इस बार 2019 के इस चुनाव में भाजपा के सुब्रत पाठक ने सपा का किला ढहाकर भाजपा को काबिज किया।
 

सपा के पहले भाजपा से चंद्रभूषण रहे सांसद

ऐसा भी नहीं कि कन्नौज सीट पर भाजपा का अस्तित्व नही रहा हो। दरअसल 1996 में यहां से चन्द्रभूषण सिंह उर्फ मुन्नुबाबू बीजेपी से चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद सपा ने अपना कब्जा जमा लिया, लेकिन यहां बसपा का कभी खाता नही खुला। जो हमेशा चुनाव लड़कर दूसरे या तीसरे नंबर पर रही है।

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