आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कश्मीर में टॉप कमांडरों से उसके संबंधों की बात भी पता चली, जिसके बाद देश भर की सुरक्षा एजेंसियों ने उसकी तलाश तेज कर दी, लेकिन वह न कश्मीर में मिला और न असम में. मिला तो कानपुर में संवेदनशील एयरफोर्स स्टेशन के पास. अब जब इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि हुरैरा कानपुर में आतंकी हमलों की फिराक में था और बम ब्लॉस्ट की तैयारी कर रहा था. तो कई सवाल भी खड़े हो गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या वह कश्मीर की आग को कानपुर में फैलाने आया था.
इसी साल 10 अप्रैल को जब डॉ. हुरैरा के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने की फोटो अपलोड हुई. फेसबुक पर ही कश्मीरी पंडितों से जुड़े एक पेज पर इससे जुड़ी जानकारी अपडेट की गई. जम्मू फॉर इंडिया पेज पर अशोक रैना नाम के शख्स ने यह जानकारियां डाली थीं. इसके साथ ही कश्मीर और असम के बीच कनेक्शन को लेकर भी कुछ बातें लिखी गई थीं कि कैसे जब 1989 में डॉ. जगमोहन जम्मू कश्मीर के गवर्नर बनाए गए तब कश्मीर में नारे लगाए गए थे कि असम के कातिलों वापस जाओ. इस अपडेट में कमर उज्जमान के किश्तवाड़ 2006 में पहुंचने की बात भी लिखी गई है.
लखनऊ में आईएस के कथित आतंकी सैफुल्लाह के एनकाउंटर के बाद एक के बाद एक कई संदिग्ध आंतकियों की जाजमऊ से गिरफ्तारी एनआईए ने की. इसमें साफ हो गया कि ये लोग जेहाद के लिए कानपुर को भी जंग का मैदान बनाने की तैयारी में थे. अब हिजबुल के कथित आतंकी डॉ. हुरैरा की गिरफ्तारी के बाद एटीएस की जांच का एक मुख्य बिंदु यह भी है कि उसके आईएस के एक्टिव मॉडयूल से कोई संपर्क हुए या नहीं. इसके साथ ही स्लीपर सेल से संपर्कों को लेकर भी जांच की जा रही है.