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बिठूर घाट पर डुबकी लगाने के बदले लोटे से नहाना ज्यादा सुरक्षित

locationकानपुरPublished: Jan 08, 2020 04:01:55 pm

घाटों से २० फुट दूर हुईं गंगा, अचानक आ सकती है आठ से दस फुट की गहराई
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत डाले गए पॉलीबैग से नहीं लगता गहराई का अंदाजा

बिठूर घाट पर डुबकी लगाने के बदले लोटे से नहाना ज्यादा सुरक्षित

बिठूर घाट पर डुबकी लगाने के बदले लोटे से नहाना ज्यादा सुरक्षित

कानपुर। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए बिठूर घाट पर डुबकी लगाना खतरनाक हो सकता है। इसलिए लोटे से जल लेकर नहाने की सलाह दी गई है, क्योंकि डुबकी लगाने में डूबने का खतरा है। इसकी वजह यह है कि गंगा घाटों से २० फुट पीछे चली गई है। अब जहां पर गंगाजल की धारा है, वहां पर गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल है, इसलिए धारा में उतरकर नहाने से बेहतर है कि लोटे में जल लेकर ही नहाएं।
इस वजह से आयी अचानक गहराई
माघी पूर्णिमा से लेकर मकर संक्रान्ति तक बिठूर के घाटों पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। माघी पूर्णिमा से पहले १० तारीख को चंद्रग्रहण है और उसके बाद लोग गंगास्नान करते हैं पर मगर इस बार बिठूर के प्रमुख घाटों से गंगा दूर हो गई हैं। ब्रह्मावर्त घाट से गंगा करीब 20 फुट दूर चली गई हैं, जिससे पण्डा समाज भी चिन्तित है। गंगा का जलस्तर घटने के बाद गंगा घाटों से काफी दूर है, जहां से गंगा का पानी मिलता है वहां काफी खतरा है। नमामि गंगे के काम के चलते वहां पॉलीबैग डालकर गंगा की धारा को रोका गया था। वह नहीं हटाये गए हैं। पॉलीबैग के एक से दो फुट तक पानी है। उसके बाद करीब आठ से दस फुट तक गहरान आ जाती है। ऐसे में भक्तों को डुबकी लगाने की जगह लोटे से स्नान करना पड़ रहा है।
१५ दिनों में ५२ घाटों से दूर हुईं गंगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कानपुर दौरे तक गंगा का जलस्तर काफी अच्छा रहा पर उसके बाद से गंगा का स्तर कम होने लगा और १5 दिनों में गंगा बिठूर के 52 घाटों से दूर हो गईं। ऐसे में स्नान करने वालों को दिक्कत हो सकती है। साथ ही मकर संक्रान्ति का स्नान 14 जनवरी को है। बिठूर के ब्रह्मावर्र्त घाट समेत सीता घाट, महिला घाट, वारादरी घाट, पत्थरघाट, गुदाराघाट समेत सभी घाटों से गंगा दूर चली गई हैं। बिठूर के राजू दीक्षित, केशव, बच्चा तिवारी, प्रदीप शुक्ला ने बताया कि ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि जनवरी में गंगा का जलस्तर कम हो रहा है।

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