साल भर में हालत बदल गए
दिसंबर 2018 में टेनरी-नालों का पानी गंगा में गिराने पर रोक लगी थी। इससे पहले जुलाई में विश्वविद्यालय के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग की टीम ने कन्नौज और कानपुर के वाजिदपुर घाट के बीच पानी के नमूने लिए थे। विभाग के निदेशक डॉ. शाश्वत कटियार ने बताया कि पिछले वर्ष गंगा के पानी में प्रदूषित तत्व मानक से बहुत ज्यादा थे। इसमें सबसे ज्यादा प्रदूषित गंगा का पानी वाजिदपुर घाट में पाया गया। पाबंदी के बाद जब इस साल जुलाई में नमूने लिए गए तो नतीजे एकदम अलग दिखे। अन्य घाटों के नमूनों में भी नाइट्रेट, ऑर्सेनिक, पीएच, टीडीएस आदि के स्तर में सुधार दिखा। डॉ. कटियार कहते हैं कि यही स्थिति रही तो गंगा के पानी से सिंचाई कर उगाई जाने वाली सब्जियां नुकसानदेह नहीं रहेंगी।
दिसंबर 2018 में टेनरी-नालों का पानी गंगा में गिराने पर रोक लगी थी। इससे पहले जुलाई में विश्वविद्यालय के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग की टीम ने कन्नौज और कानपुर के वाजिदपुर घाट के बीच पानी के नमूने लिए थे। विभाग के निदेशक डॉ. शाश्वत कटियार ने बताया कि पिछले वर्ष गंगा के पानी में प्रदूषित तत्व मानक से बहुत ज्यादा थे। इसमें सबसे ज्यादा प्रदूषित गंगा का पानी वाजिदपुर घाट में पाया गया। पाबंदी के बाद जब इस साल जुलाई में नमूने लिए गए तो नतीजे एकदम अलग दिखे। अन्य घाटों के नमूनों में भी नाइट्रेट, ऑर्सेनिक, पीएच, टीडीएस आदि के स्तर में सुधार दिखा। डॉ. कटियार कहते हैं कि यही स्थिति रही तो गंगा के पानी से सिंचाई कर उगाई जाने वाली सब्जियां नुकसानदेह नहीं रहेंगी।
घुलनशील ऑक्सीजन बढ़ी
जुलाई 2018 और जुलाई 2019 में नौ घाटों से पानी के नमूने लिए गए। शोध के मुताबिक अब कई जगह घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा छह हो गई है जो मानक के मुताबिक पांच या इससे अधिक होनी चाहिए। सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी वाले घाट वाजिदपुर में यह पिछले साल के 3.02 के मुकाबले 5.5 रही। पूर्व में यहां ऑक्सीजन की कमी से मछलियों और अन्य जीवों मरने की स्थिति आ गई थी।
जुलाई 2018 और जुलाई 2019 में नौ घाटों से पानी के नमूने लिए गए। शोध के मुताबिक अब कई जगह घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा छह हो गई है जो मानक के मुताबिक पांच या इससे अधिक होनी चाहिए। सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी वाले घाट वाजिदपुर में यह पिछले साल के 3.02 के मुकाबले 5.5 रही। पूर्व में यहां ऑक्सीजन की कमी से मछलियों और अन्य जीवों मरने की स्थिति आ गई थी।
अन्य घाटों पर काफी बेहतर
शाश्वत कटियार के मुताबिक कन्नौज, शिवराजपुर, बैराज में गंगा का पानी काफी स्वच्छ हो गया है। वहां डीओ 6 या इससे अधिक पहुंच गया है। अन्य खतरनाक पैरामीटर भी स्टैंडर्ड के करीब आ रहे हैं। जाजमऊ में अधिक टेनरियां होने के कारण निकलने वाला दूषित पानी सिर्फ गंगा नहीं बल्कि आसपास के भूगर्भ जल को भी खराब कर रहा था। जाजमऊ और वाजिदपुर में रहने वाले लोग क्रोमियम के कारण अनेक तरह की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं।
शाश्वत कटियार के मुताबिक कन्नौज, शिवराजपुर, बैराज में गंगा का पानी काफी स्वच्छ हो गया है। वहां डीओ 6 या इससे अधिक पहुंच गया है। अन्य खतरनाक पैरामीटर भी स्टैंडर्ड के करीब आ रहे हैं। जाजमऊ में अधिक टेनरियां होने के कारण निकलने वाला दूषित पानी सिर्फ गंगा नहीं बल्कि आसपास के भूगर्भ जल को भी खराब कर रहा था। जाजमऊ और वाजिदपुर में रहने वाले लोग क्रोमियम के कारण अनेक तरह की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं।