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प्रेग्नेंट महिलाएं Gayatri Mantra और Quran की आयातें पढ़ें, डॉक्टर-ऑपरेशन के साथ ही मेडिसिन से मुक्ति पाएं

locationकानपुरPublished: Oct 06, 2018 01:54:41 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

Hallet Hospital की डॉक्टर नीना गुप्ता और गायत्री परिवार की मुहिम लाई रंग, योग के साथ ही गायत्री मंत्र और कुरान की आयतों के जरिए महिलाओं का आत्मबल बढ़ाकर सिजेरियन प्रसव कम करने की अनूठी कवायद|

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प्रेग्नेंट महिलाएं गायत्री मंत्र और कुरान की आयातें पढ़ें, डॉक्टर-ऑपरेशन के साथ ही मेडिसिन से मुक्ति पाएं

कानपुर। एक वक्त था जब ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में घर की दाई (बुजुर्ग महिलाएं) प्रसूता की डिलीवरी की खबर सुनते ही घर आ जाती और चंद मिनट के अंदर नवजात साधारण तरीके से मां की गोद में किलकारियां भरने लगता था। लेकिन पिछले आठ दस सालों से प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। डॉक्टर जहां इलाज के नाम पर जमकर वसूली करते हैं तो वहीं 80 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाओं की डिलीवरी ऑपरेशन के जरिए हो रही है। पर इससे निपटने के लिए अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर नीना गुप्ता आगे आई हैं। उन्होंने गायत्री परिवार के सहयोग से एक प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके जरिए प्रेग्नेंसी के वक्त प्रसूताओं को ऑपरेशन के साथ दवा से छुटकारा मिलेगा। प्रेग्नेंट महिलाओं को योग के साथ ही Gayatri Mantra और Quran की आयतों को खाली में समय पढ़ना होगा, जिससे उनका आत्मबल बढ़ेगा और सिजेरियन प्रसव से मुक्ति मिल जाएगी।

दादी की जगह डॉक्टर ने कैंची उठाई
एक दशक तक ग्रामीण के अलावा शहरों में घर में बड़ी-बुजुर्ग दादी को जब आंगन में किलकारियों की आवाज की खबर लगते ही वो बहूओं को रामचरित मानस ग्रन्थ पकड़ा दिया करती थीं। बहू भी अपनी सासू मां की बात को मानकर प्रेग्नेंसी के दौरान कामकाज के बाद जो भी समय मिलता, उसे वो भक्ति में लगाया करती थीं। लेकिन शहर के चकाचौंध के चलते प्रेग्नेंट महिलाओं ने अपने रहन-सहन और खानपान में बदलाव कर लिए। जिसका नतीजा यह रहा कि अब बहुओं को दाई के बजाए डॉक्टर्स के पास जाना पड़ रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर नीना गुप्ता ने इस पर रिसर्च किया तो पाया कि 80 फीसदी गर्भवती में एनीमिया और हीमोग्लोबिन की कमी की दिक्कत है, इसी वजह से उनमें दर्द सहने की क्षमता घटी है और सिजेरियन प्रसव के मामले तेजी से बढ़े हैं।

डॉक्टर ने समस्या का निकाला हल
डॉक्टर नीना गुप्ता व उनकी टीम ऑपरेशन से समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए योग के साथ ही Gayatri Mantra और कुरान की आयतों के जरिए महिलाओं का आत्मबल बढ़ाकर सिजेरियन प्रसव कम करने की अनूठी कवायद शुरू की है। सूबे में अपनी तरह के इस पहले प्रोजेक्ट के शुरुआती दौर में महिलाओं में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद डॉक्टर गुप्ता उनकी टीम उत्साहित है। शिद्दत से जुटी टीम हिंदू गर्भवती को गायत्री मंत्र एवं मुस्लिम को कुरान की आयतों के साथ योग से जोड़ रही है। गायत्री परिवार की टीम डॉक्टर गुप्ता का भरपूर सहयोग कर रही है। इस दौरान डॉक्टर शर्मा नर्सिंग होम और लक्ष्मी सहगल अस्पताल सहित अन्य हॉस्पिटलों से प्रेग्नेंसी के आंकड़े जुटाए गए और जिसमें पाया गया कि दर्द नहीं होने के चलते अधिकतर प्रेग्नेंट महिला की डिलेवरी ऑपरेशन के जरिए की गई।

80 फीसदी प्रेग्नेंसी ऑपरेशन के जरिए
डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में सिजेरियन प्रसव की संख्या लगातार बढ़ रही है। अस्पताल में पहले 100 प्रसव में से 20 सिजेरियन होते थे। विगत पांच वर्षों में सिजेरियन प्रसव की संख्या तेजी से बढ़ी है। अस्पताल में 80 फीसद प्रसव सिजेरियन, जबकि 20 फीसद सामान्य हो रहे हैं। इससे मातृ मृत्युदर बढ़ रही है। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में इलाज को आई गर्भवती को प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा। उन्हें पूरी जानकारी दी जाएगी। इसमें 100-100 के ग्रुप बनाए जाएंगे। एक समूह में अध्यात्म एवं योग से जुडऩे में आपत्ति नहीं होगी उन्हें ही जोड़ा जाएगा। दूसरा वह ग्रुप होगा जो सिर्फ इलाज पर ही निर्भर होगा।

ये योग करें, ऑपरेशन से मुक्ति पाएं
डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि गर्भ के दौरान कुछ योगासन फायदेमंद हैं जोकि अलग-अलग है, जो तरह से प्रसूता को फायदा पहुंचाते हैं। इनमें से तितली आसन से इससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है तो उष्ट्रासन से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। जबकि पर्वतासन से गर्भावस्था के दौरान कमरदर्द में आराम मिलता है के अलावा शवासन से मानसिक शांति मिलती है। डॉक्टर गुप्ता बताती हैं कि गर्भवती पर अब तक किए गए शोध के सकारात्मक प्रभाव दिखे हैं, महिलाओं की इच्छाशक्ति मजबूत हुई है और दर्द सहने की क्षमता भी बढ़ी है। अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और शासन को प्रस्ताव भेजा है। इस अध्ययन में सरकार से मदद मिलने पर गर्भवती को बहुत फायदा मिलेगा। अस्पतालों में बेवजह होने वाले सिजेरियन प्रसव की संख्या भी कम होगी। इससे इलाज के खर्च में भी कमी आएगी।

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