बताते चलें कि पिछले दो माह में जिले के जगजीवनपुर, आशापुरवा, नोनारी, अस्तिया, रानेपुर, मुड़ेरा, अकबरपुर, मुक्तापुर टड़वारा, लालपुर शिवराजपुर, मित्रसेनपुर, खेम निवादा, शिवली व पुलंदर आदि स्थानों पर बुखार की चपेट में आकर मौतें हो चुकी हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में जहां जुलाई में 40, अगस्त में 37 मलेरिया पीड़ित मिले थे। इधर जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर में परीक्षण के बाद जिले में पांच नए डेंगू पीडि़तों की पुष्टि हुई। इनमें रोशनमऊ रूरा की सोनकली, पुखरायां के अनुराग गौतम, असेवा मलासा की संगीता, नौरंगा लालपुर की जज्ञनवीं, गिरदौ मलासा के महेंद्र शामिल हैं। फिलहाल बुखार पीड़ित मरीजों के रक्त परीक्षण में प्लेटलेट्स गिरने की बात सामने आने से लोगों में डेंगू की दहशत बढ़ने लगी है।
डिप्टी सीएमओ व संक्रामक रोग प्रभारी डॉक्टर एपी वर्मा ने बताया कि डेंगू में तेज बुखार, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द, आंख में दर्द, शरीर पर दाने दिखने लगते हैं। प्लेटलेट्स गिरने का मतलब यह नहीं है कि मरीज डेंगू से पीड़ित है। मलेरिया व कभी कभी वायरल में भी इस तरह के लक्षण बनते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज से आई रिपोर्ट के बाद डेंगू पीड़ित मरीजों के गांवों में डीडीटी का छिड़काव कराने के साथ उनके परिवार के सभी सदस्यों के अलावा पड़ोसियों की रक्त पट्टिकाएं भी बनवाई गईं हैं। मलेरिया पीड़ित सभी 330 मरीजों का उपचार कराया जा चुका है। जलभराव वाले 93 गांवों व मलेरिया विभाग द्वारा चिन्हित 150 संवेदनशील गांवों में पैनी नजर रखी जा रही है।