बच्चों में तेजी से बढऩे वाली मायोपिया बीमारी को रोकने के लिए ऑर्थोकार्टोलॉजी, मल्टीफोकल कॉन्टेक्ट लेंस से काबू किया जा रहा है। अस्पताल के डॉक्टर एक ड्राप पर रिसर्च कर रहे हैं जिससे धीरे धीरे चश्मे का नम्बर कम होगा। अगर किसी बच्चे में आंखें अधिक बिगड़ गई हैं तो दवा से उसे वहीं रोका जा सकेगा। दवा देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में परीक्षण के दौर में हैं। हैलट में भी यह शुरू किया गया है।
अभी तक हुए अध्ययनों में पता चला की निकटदर्शी बच्चों में सम्बंधित आइ ड्रॉप के प्रयोग से 81 प्रतिशत तक मायोपिया (निकटदृष्टिता) को बढऩे से रोक दिया है। शोधकर्ता प्रो. आरएन कुशवाहा का कहना है कि 10 वर्ष से कम के बच्चों की बीमारी दवा से काबू की जा सकती है। गुरुवार को विशेष ओपीडी में बच्चों को लाकर जांच करवानी चाहिए।
जिन बच्चों में अभी तक चश्मा नहीं लगा है उन्हें मायोपिया से बचाने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। बच्चों को लगातार टीवी और मोबाइल गेम के 30 मिनट से अधिक नहीं देखने दें। प्रो. आरएन कुशवाहा का कहना है कि अगर बच्चा जिद कर रहा है तो दो तीन बार 30-30 मिनट के लिए मोबाइल दे सकते हैं। कोशिश करें कि 10 वर्ष से कम के बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलने के लिए नहीं दें।