कई बड़े अस्पतलों के डॉक्टरों ने हाथ खड़े किए चकरपुर मंडी के समीप स्थित सिंगपुर गांव निवासी प्रकाश यादव की पुत्री मोनिका (21) की रीढ़ की हड्डी जन्मजात टेढ़ी थी। बड़ी हुई तो कमर तिरछी कर चलने लगी। उम्र के साथ तिरछापन बढ़ने लगा और कूबड़ जैसा निकल आया। चार साल से कमर दर्द शुरू हुआ जो समय के साथ बढ़ने लगा। उसके पिता ने कानपुर व लखनऊ के सभी बड़े डॉक्टरों को दिखाया। फायदा न होने पर लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज एसजीपीजीआइ), किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) और डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआइएमएस) के डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने बताया कि जन्मजात रीढ़ की हड्डियों की बनावट ठीक नहीं होने से स्कोलिओसिस (कूबड़) की बीमारी है। इसका इलाज सर्जरी, जो काफी जटिल है। देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों में होती है। पीड़िता के पिता ने बताया कि मैं बेटी को लेकर घर लौट आया और तभी मेरे पास आरएमएलआइएमएस (लखनऊ) के पेन स्पेशलिस्ट डॉ. अनुराग अग्रवाल का फोन आया। उन्होंने मुझे सलाह दी की वह बेटी को लेकर हैलट जाएं और डॉक्टर मनीष को दिखाएं।
डॉक्टर मनीष और चंद्रखेशर ने किया ऑपरेशन डॉक्टर अग्रवाल के कहने पर मोनिका को लेकर उसके पिता हैलट आए और जीएसवीएम के न्यूरो सर्जरी के हेड डॉ. मनीष सिंह के पास मरीज को ले गए। जहां डॉक्टर मनीष ने उसकी सीटी-एमआरआइ जांच कराई तो पाया कुछ रीढ़ की हड्डियों की बनावट आधी और अपनी जगह से घूमी हैं। डॉक्टर मनीष ने पेन स्पेशलिस्ट डॉ. चंद्रशेखर से केस पर बात की। दोनों डॉक्टरों ने मोनिका को ठीक करने का प्रण लिया और अपने मिशन पर जुट गए। सर्जरी की प्लानिंग की लेकिन इंप्लांट (विशेष प्रकार की रॉड व स्क्रू) प्रदेश में उपलब्ध नहीं था। मुंबई से स्पेशल धातु कोबाल्ट का इंप्लांट मंगाया। गुरुवार सुबह नौ बजे से लेकर देर रात 11.30 बजे तक दोनों ने मिलकर सर्जरी की। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा। डॉक्टर मनीष सिंह ने बताया कि उनके कॅरियर में यह पहला केस है, जिसे उन्होंने अपनी टीम के साथ सकुशल मरीज को ठीक किया।
स्क्रू और रॉड से उन्हें किया फिक्स डॉक्टर मनीष ने बताया कि रीढ़ की जो हड्डियां टेढ़ी व अपनी जगह पर नहीं थीं। उनके जोड़ों को काट कर अपनी जगह पर लाकर सीधा करने के बाद स्क्रू एवं रॉड के माध्यम से उन्हें फिक्स किया। हैलट के जुनियर और सीनियर डॉक्टर पूरे 14 घंटे तक ऑपरेशन थियेटर से बाहर नहीं निकले। डॉक्टर चंद्रशेखर ने बताया ि कइस दौरान हमने सिर्फ एक बार पानी पिया। आपरेशन के बाद मरीज को आइसीयू में रखा गया था। सुबह न्यूरो साइंस सेंटर के जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया। आपरेशन के बाद हाथ-पैरों में पूरी हरकत है। मोनिका के पिता ने डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया। हैलट के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बदले मरीज के तीमारदार से कुछ नहीं लिया, बल्कि खुद के पैसे से दवा व अवजार मंगवाए।