पुलिस लाइन में अभियोजन निदेशालय की ओर से आयोजित कार्यशाला में साइबर एक्सपर्ट सचिन गुप्ता ने तहसील स्तर पर कार्यशाला आयोजित कराने का सुझाव दिया। अपर निदेशक अभियोजन निगम बहादुर सिंह ने बताया कि हर केस में साक्ष्य संकलन सबसे अहम है, लिहाजा सावधानी बरतने की जरूरत है। मुरादाबाद विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आए ज्येष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि दुष्कर्म व महिला संबंधी अपराधों में बायोलॉजिकल साक्ष्य फॉरेंसिक लैब भेजने से पूर्व छांव में सुखा लें। इससे वैक्टीरिया होने की आशंका नहीं होती और वह लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं। अमूमन पुलिसकर्मी बिना दस्ताने व शू कवर पहने घटनास्थल पर साक्ष्य जुटाने लगते हैं, यह तरीका गलत है।
साइबर अपराध रोकने के लिए गूगल की मदद से अब डेबिट व क्रेडिट कार्ड खो जाने, क्लोन हो जाने या डाटा लीक हो जाने पर कुछ एप्लीकेशन की मदद से खुद ही उसे ब्लॉक कर सकते हैं। एडीजे विनोद कुमार सिंह ने पॉक्सो एक्ट के प्रावधान समझाए। एडीजे संध्या श्रीवास्तव ने भी लगातार कार्यशालाएं कराने का सुझाव दिया। अपर निदेशक अभियोजन हरिहर पांडेय ने गुंडा एक्ट व गैंगस्टर एक्ट पर व्याख्यान दिया। रिटायर्ड आइपीएस रतनकांत श्रीवास्तव व सीडीओ सुनील कुमार सिंह ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक अभियोजन राजदेव मिश्रा, एसपी क्राइम राजेश यादव, सीओ सैफुद्दीन बेग, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी संजय त्रिपाठी, संजय गुप्ता, एपीओ सिद्धार्थ सिंह व विभिन्न जिलों से आए 150 से ज्यादा अभियोजक व विवेचक रहे।