कानपुर

25 साल बाद यहां लोकतांत्रिक तरीके से होगा ग्राम प्रधान का चुनाव

– पिछले 25 सालों से यहां की राजनीति हिस्ट्रीशीटर के इशारे पर होती थी। लेकिन दो-तीन जुलाई की रात हुई घटना के बाद गांव हिस्ट्रीशीटर के साए से बाहर निकली और अब ग्राम पंचायत की जनता अपने प्रधान का चुनाव अपने वोटों से करेगी।
 

कानपुरMar 02, 2021 / 09:45 pm

Narendra Awasthi

पिछले 25 सालों से यहां की राजनीति हिस्ट्रीशीटर के इशारे पर होती थी। लेकिन दो-तीन जुलाई की रात हुई घटना के बाद गांव हिस्ट्रीशीटर के साए से बाहर निकली और अब ग्राम पंचायत की जनता अपने प्रधान का चुनाव अपने वोटों से करेगी।  

कानपुर. बिकरू कांड के बाद हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के साए से गांव वाले निकल चुके हैैं। 25 साल बाद लोकतांत्रिक तरीके से जनता अपने प्रधान का चुनाव करेगी। पंचायत चुनाव में आरक्षण की लिस्ट जारी होने के बाद बिकरू गांव को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। जिसके बाद गांव में एक अलग ही चुनाव का माहौल दिखाई पड़ेगा। प्रशासन भी निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार है और गांव में ही पुलिस चौकी भी बना दी गई है। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के जिंदा रहते पिछले 25 वर्षों से गांव की प्रधानी उसके घर से चलती थी। चेहरा जरूर बदला। लेकिन प्रधानी की कमान विकास दुबे के ही हाथ में रही।

1995 से 2020 तक विकास दुबे के इशारे पर होती थी प्रधानी

सन 1995 के ग्राम प्रधान के चुनाव में विकास दुबे ने पहली बार प्रधानी का चुनाव जीता था। उसके बाद उसके साए से प्रधानी चुनाव नहीं निकल पाई। सन 2000 में बिकरू गांव की प्रधानी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। जिसे देखते हुए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने गायत्री देवी को अपना प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीत गई। 2005 के चुनाव में एक बार फिर सामान्य सीट होने के कारण विकास ने अपने छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजलि को प्रधान पद के लिए खड़ा किया। जिसके खिलाफ कोई भी नामांकन पत्र नहीं भरा गया और अंजली दुबे निर्विरोध प्रधान चुना गया।

दो बार निर्विरोध निर्वाचित हुई अंजली दुबे

2010 में एक बार फिर अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित होने के बाद हिस्ट्रीशीटर ने रजनीश कुशवाहा को प्रधान पद के लिए खड़ा किया। जिसने चुनाव तो जीता। लेकिन कमान विकास दुबे के ही हाथ में रही। 2015 में एक बार फिर अंजली दुबे निर्विरोध प्रधान चुनी गई। पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की उलटी गिनती चालू हो गई उसके गैंग के सदस्यों का आया तो एनकाउंटर हो गया या फिर जेल के अंदर पहुंच गए ऐसे में बगरू गांव विकास दुबे के साए से निकलकर विगत 25 साल के बाद लोकतांत्रिक ढंग से अपने प्रत्याशी का चुनाव करेगी।

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