शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों के बाजारों में अपंजीकृत छोटे-बड़े व्यापारियों को तलाशने के लिए पिछले साल 22 नवंबर को एसजीएसटी अधिकारियों को सर्वे के निर्देश दिए गए थे। इस भ्रमण में उन्हें पंजीकृत और अपंजीकृत व्यापारियों का डाटा अलग-अलग तैयार करना था। गली में जाकर व्यापारियों की तलाश करना बेहद कठिन था। इसके लिए विभाग ने एक प्रयोग किया और वह पूरी तरह सफल रहा। जिससे इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सारा डाटा विभाग के हाथ लग गया या यूं कहें कि इन व्यापारियों की पूरी कुंडली मिल गई है।
जीएसटी विभाग ने थर्ड पार्टी से डाटा संकलित करने की योजना बनाई। पहले चरण में हिन्दुस्तान कोकाकोला और पेटीएम से डाटा लिया गया। परिणाम चौंकाने वाले निकले। हिन्दुस्तान कोका कोला से मिले डाटा का मिलान जब जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों की सूची से किया गया तो एक झटके में 26816 व्यापारी अपंजीकृत पकड़ में आ गए। कोल्ड ड्रिंक की सप्लाई चेन में रेस्टोरेंट से लेकर खोमचे वाले भी हैं। चूंकि इन व्यापारियों का पूरा डाटा मय पते और नाम के हैं। इसलिए सभी खंड अधिकारियों को इनकी सूची दे दी गई है। अब केवल पते पर जाकर पंजीकरण कराना होगा।
कंपनियों से डाटा लेने के बाद दूसरी सफलता पेटीएम से मिले डाटाबेस से मिली। पेटीएम के जरिए वर्ष 2018-19 में भुगतान प्राप्त करने वाली बिजनेस एजेंसियों की सूची ली गई। इसमें फर्म का नाम, संबंधित व्यक्ति का नाम, पता, पिन कोड, जनपद का नाम, मोबाइल नंबर और पिछले वित्त वर्ष में पेटीएम से लिए भुगतान का पूरा ब्योरा है। इस सूची की पड़ताल में 79 हजार से ज्यादा ऐसी फर्में मिलीं जिनका पैन या जीएसटी नंबर नहीं था। 26,752 ऐसे लेनदेन मिले, जिनमें पैन तो है लेकिन जीएसटी नंबर नहीं है। इससे साफ हो गया कि एक लाख से ज्यादा लोग व्यापार तो कर रहे हैं लेकिन जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं। अब इस शीट के माध्यम से एक लाख व्यापारियों के पास जाकर भौतिक सत्यापन किया जाएगा और पंजीकरण कराया जाएगा।