दो चरणों में होगा रिसर्च इस बीमारी से राहत दिलाने के लिए अभी तक ऑपरेशन का सहारा लिया जाता है लेकिन यह अधिक कारगर नहीं है। इसके साइड इफेक्ट अधिक बताये जाते हैं। दुनिया के कई देशों में इस बीमारी के ऑपरेशन को लेकर कई स्तरों पर शोध चल रहे हैं।जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं की मानें तो इस बीमारी पर रिसर्च दो चरणों में होगा। रिसर्च में न्यूरोसर्जन और एनॉटामी विभाग की टीम संयुक्त रूप से काम कर रही हैं।
शुरुआती स्थिति में है रिसर्च एनाटामी विभागाध्यक्ष की प्रोफेसर सुनीति राज और न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर मनीष सिंह बताते हैं कि शोध अभी शुरुआती चरण में है। मुख्य फोकस सर्जरी को आसान करने पर है। इस दिशा में अभी काम होना बाकी है जिससे सर्जनों को आसानी हो सके।
भयावह दर्द बढ़ा देती है परेशानी इस बीमारी में सिर के बीच के हिस्से से चेहरे तक दर्द होता है। सिर के बीच के हिस्से से शुरू हुए क्रेनियल नर्व से यह दर्द शुरू होती है और चेहरे तक फैलती है। चेहरे की संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और दर्द बिल्कुल भाला चुभोने वाली जैसी महसूस होती है। इस बीमारी की मुख्य वजह आनुवांशिक मानी जाती है। इसके अलावा सिर के क्रनियल पार्ट में ट्यूमर या धमनियों व नसों की बनावट में खराबी के कारण भी यह बीमारी होती है।