कानपुर

बुंदेलखंड के सात जिलों में अब होगी झमाझम बारिश, लहलहाएंगी फसलें

कृत्रिम बारिश का सफल परीक्षण

कानपुरMar 02, 2019 / 02:09 pm

Ruchi Sharma

बुंदेलखंड के सात जिलों में अब होगी झमाझम बारिश, लहलहाएंगी फसलें

पत्रिका
यूटिलिटी न्यूज
कानपुर. बुंदेलखंड में अब सूखे का अभिशाप खत्म होने वाला है। यहां के सूखाग्रस्त इलाकों में भी फसलें लहलहाएंगी। किसान सिंचाई के लिए भगवान के भरोसे नहीं रहेंगे। जब उनकी फसलों को जरूरत होगी उन्हें पानी मिल जाएगा। यह सब संभव हो सका है एचएएल में मेक इन इंडिया के तहत निर्मित डोनियर-228 एयरक्राफ्ट के जरिए। एचएएल ने किसानों की सुविधा के लिए खासतौर पर इस एयरक्राफ्ट को डिजायन किया गया है। आइआइटी कानपुर ने इसका परीक्षण कर लिया है। इसी साल गर्मियों में बुंदेलखंड के सात सबसे अधिक सूखाग्रस्त इलाकों में कृत्रिम बारिश करायी जाएगी।

बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर व ललितपुर समेत सात सूखा प्रभावित सात जिलों में गर्मियों में बारिश की योजना बनायी गयी है। आइआइटी और एचएएल की हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने एक कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में उप्र सरकार के छह विभागों के सचिव और आइआइटी एयरोस्पेस विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके घोष व सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी शामिल हैं। कृत्रिम बारिश के लिए बैठक हो चुकी है। भौगोलिक सर्वेक्षण के बाद एयरक्राफ्ट ने स्थलीय परीक्षण भी कर लिया है।

ऐसे होगी कृत्रिम बारिश


आइआइटी के उप निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल के मुताबिक इस काम के लिए यूएस से बादलों के बीच मैटेरियल का छिडक़ाव करने के लिए सीडिंग उपकरण मंगाया जाएगा। एयरक्राफ्ट में क्लाउड कंडन्सेशन न्यूक्लियर काउंटर, क्लाउड प्रोब जैसे उपकरण लगाए जाएंगे। यह उपकरण कृत्रिम बादल बनाएंगे। क्लाउड कंडन्सेशन यह भी बताएगा कि बादल में कितने कण मौजूद हैं जो घने बादल बना सकते हैं। क्लाउड प्रोब यह बताएगा कि बादल में कितना लिक्विड है, तापमान कितना है व हवा कितनी अनुकूल है।

चीन ने तकनीक देने से मना किया


गौरतलब है कि 2017 में महोबा क्षेत्र में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए चीन से कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनी थी। चीन से एक किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश के लिए 10.30 लाख की राशि देने पर सहमति भी हो गई थी। लेकिन अचानक चीन ने कृत्रिम बारिश तकनीक देने से मना कर दिया था।

मुख्यमंत्री खुद ले रहे दिलचस्पी


सीएम योगी आदित्यनाथ बुंदेलखंड में कृत्रिम बारिश करवाने को लेकर खुद दिलचस्पी ले रहे हैं। इसलिए वे फसलों की बर्बादी की समस्या से निपटने के लिए आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर चुके हैं। सीएम की पहल पर एचएएल ने विमान भी आइआइटी को सौंप दिया है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
छह करोड़ तक आएगा खर्च


सिंचाई, पर्यावरण और कृषि विभाग मिलकर जल प्रबंधन, कृषि एवं पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण पर रोकथाम के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। एयरक्राफ्ट व उसमें लगने वाले उपकरण के जरिए कृत्रिम बारिश कराने में पहले सालभर में 50 से 60 करोड़ रुपए खर्च आता था। अब स्वदेशी एयरक्राफ्ट व स्वदेशी उपकरण की वजह से इसका खर्च पांच से छह करोड़ आएगा।
-प्रो.सच्चिदानंद त्रिपाठी, आइआइटी, कानपुर


पड़ोसी देशों को भी देंगे मदद


कृत्रिम बारिश का लाभ ने केवल बुंदेलखंड बल्कि बांग्लादेश, नेपाल व भूटान समेत अन्य पड़ोसी देशों की भी मिलेगा। इसका फाइनेंशियल मॉडल तैयार किया जा चुका है। पड़ोसियों की डिमांड के आधार पर उन्हें इसकी सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
-दीपक सिन्हा, परियोजना समन्वयक

सूखे से मिलेगी राहत


कृत्रिम बारिश का प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाएगा, जहां बारिश नहीं होने से किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचता है। इस तकनीक से फसलों को सूखे से राहत मिलेगी।
-धर्मपाल सिंह,सिंचाई मंत्री उप्र

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