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HAL बनाएगा 14 डारनियर एअरक्राफ्ट, पढें ये खबर

locationकानपुरPublished: Oct 17, 2016 04:00:00 pm

हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड को वायू सेना ने 14 डारनियर एयरक्राफ्ट बनाने का आर्डर दिया है।

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कानपुर। जब सीमा पर तनाव हो तो डिफेंस विभाग भी सक्रिय हो जाता है। इसी कड़ी के तहत अब दुश्मनों से हवाई मुकाबला करने के लिए कानपुर स्थित एचएएल ने कमर कस ली है। हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड को वायू सेना ने 14 डारनियर एयरक्राफ्ट बनाने का आर्डर दिया है। एचएएल ने आर्डर मिलते ही इस पर काम करने शुरु कर दिया है। एचएएल के महाप्रबंधक ने बताया कि मार्च तक हम 14 डारनियर एअरक्राफ्ट बनाकर एअरफोर्स को सौंप देंगे। एचएएल के इंजीनियर 10.90 करोड़ रुपये की लागत से इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है। 


करीब एक साल पहले सेना का एचएएल से डीओ 228 एयरक्राफ्ट को बनाने का समझौता हुआ। उस वक्त यह तय नहीं था कि इसे एचएएल की कौन सी शाखा बनायेगी। इस पर सहमति कुछ दिन पहले बन गई। फाइनल हुआ कि 14 लड़ाकू एयरक्राफ्ट को कानपुर डिविजन बनायेगा। इसके लिए बकायदा तैयारी भी अंदरखाने चालू कर दी गई है। 19 पैसेंजर की क्षमता वाले इस एयरक्राफ्ट में कई तरह की आधुनिक सुविधाएं होंगी। बता दें कि एचएएल एयरफोर्स, भारतीय तटरक्षक व नेवी को निर्मित किए गये एयरक्राफ्ट की आपूर्ति करता है।

युद्व से लेकर एम्बूलेंस का करेगा काम

6400 किग्रा के वजन के इस डारनियर की खूबियां बिल्कुल आधुनिक हैं। डायनियर का प्ले लोड 1903 किग्रा है। इसमें एक बार में 2850 लीटर फ्यूल भरा जा सकता है। इसकी क्रूस स्पीड 428 एमएम प्रति घंटे हैं। इसमें गैरेट के दो इंजन लगाए जाएंगे। 331-5-252 डी इस काम में आयेगी। डायनियर में मशीन गन फिट हो जायेगी। यह मिसाइल से वार कर सकता हैं। इसके अलवा इससे समुद्र में खुफिया निगरानी भी की जा सककी है। साथ ही ही इस डायनियर से सवारी भी ढोई जा सकती हैं, वक्त पढ़ने पर यह एम्बुलेंस का काम भी कर सकता है। 

समुद्र की निगरानी करेगा डायनियर

यह डायनियर एअरक्राफ्ट पूर्ण रुप से मेक इन इंडिया के तहत बनाया जाएगा। इसे जल, थल और वायू सेना के काम पर लगाया जा सकता है। डायनियर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे इंजीनियर रमेश रस्तोगी ने बताया कि भारत की समुद्री सीमाओं की निगरानी इसके जरिए की जा सकती है। इसमें हाई क्वालिटी के कैमरे लगाने के साथ हाई लेबल के राडार लगाए गए हैं, जो पांच किमी की रेंज पर हो रही गतिविधि की जानकारी सीधे पायलेट को देगा। कैमरों से खीचीं गई तस्वीर के सहारे एअरक्राफ्ट में लगी गन से फायर कर दुश्मन का काम तमाम कर देगी। 

सामान लाने और ले जाने में आएगा काम

डायनियर एअरक्राफ्ट युद्र या अन्य दैवीय आपदा पर अहम योगदान देगा। यह अपने साथ एक दर्जन से ज्यादा लोगों को लेकर उड़ सकता है। युद्ध के मैदान पर बाखूबी से सेना के सामान को पहुंचाएगा। एचएएल इसके पहले सिर्फ ना़ैवी के लिए साजो सामान तैयार करता था, लेकिन रक्षामंत्री मनोहर परिकर की पहल पर अब यहां एअरक्राफ्ट का निर्माण होने लगा है। यह एअरक्राफ्ट आंतकियों पर कार्रवाई के लिए कारगर होगा। जंगल में छिपे आंतकियों को खोजकर उन्हें वहीं मौत की नींद सुला देगा।
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