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सड़क पर उतरी कानपुर की आधी आबादी, 1 लाख पत्र भेज पीएम से सुरक्षा की गारंटी मांगी

locationकानपुरPublished: Dec 16, 2017 07:53:20 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

फिर भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। महिलाएं हर वक्त कहीं न कहिं, किसी न किसी अपराध का शिकार हो रही हैं।

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कानपुर. दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को दरिंदों ने निर्भया को अपनी हवश का शिकार बना मौत के घाट उतार दिया था। इसी के बाद पूरे देश में जमकर बवाल हुआ, जिसके चलते केंद्र सरकार ने महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए नया कानून बनाया। फिर भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। महिलाएं हर वक्त कहीं न कहिं, किसी न किसी अपराध का शिकार हो रही हैं। इसी से आहत होकर शनिवार को कानपुर के दर्जनों स्कूल की छात्राओं और महिलाओं ने रैली निकाल पर विरोध-प्रदर्शन किया। महिलाओं ने इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक लाख खत भेजकर अपनी सुरक्षा की गारंटी के साथ ही महिला उत्पीड़न के मामले की सुनवाई 365 दिन में पूरी कर न्याय दिलाए जाने की मांगी की है।
100 स्कूलों की प्रिंसिपल भी उतरीं
दिल्ली में आज के ही दिन दरिंदों ने निर्भया के साथ रेप के बाद मौत के घाट उतारा था। इसी के बाद पूरे देश में आधीआबादी की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगे थे। सरकार ने भी आनन-फानन में महिला सुरक्षा के लिए एक नया कानून बना दिया, बावजूद अपराध घटने के बजाए इन पांच सालों में बढ़ें हैं। इसी के विरोध में आज समाजेसवी गौरव बाजपेयी ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक मुहिम शुरू की और आज 45 स्कूलों की सैकड़ों छात्राओं के साथ सड़क पर उतरकर महिला उत्पीड़न को खत्म करने के लिए आवाज बुलंद की। छात्रा रूपल मौर्या ने बताया कि आज भी जब हम घर से स्कूल के लिए निकलते हैं तो हमें शोहदों और क्रिमिनलों का डर सताता है। छात्रा ने पीएम, सीएम से मांग की, क़ानून में संशोधन और महिला अत्याचार पर जल्द फैसला सुनाए जाने का क़ानून बने। छात्रा ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को स्कूल की 100 प्रिंसिपल के साथ ही एक लाख छात्राएं खत भेजकर अपनी सुरक्षा की मांग करेंगी।
संवेदनशील नहीं
छात्राओं ने अपने ऊपर होकर अत्याचारों के चलते आज जमकर हंगमा किया और शासन-प्रशासन के खिलरफ नारेबाजी भी की। प्रिंसिपल डॉक्टर दीपा पाठक ने इस मौके पर कहा कि देश में महिला उत्पीडन और महिला सशक्तिकरण केंद्र व राज्य सरकारें संवदेनशील नहीं हैं। सरकारों ने अनेक कानून बनाए, पर समस्या जस के तस बनी हुई हैं। देश की महिलाएं आज भी अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं। घरो से बाहर निकलने पर उन्हें शोहदों और अपराधियों का सरदिन सामना करना पड़ता है। प्रिंसिपल ने कहा कि अपुरुष प्रधान देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के लिए कड़े क़ानून तो बन जाते हैं, लेकिन असल में उनका दुरूपयोग होता है। महिला उत्पीडन पर जब तक न्यायालय कड़े फैसले नहीं लेंगी अत्याचार और उत्पीडन की घटनाए ऐसे ही बदस्तूर जारी रहेंगी।
रेप के आरोपी को हो एक साल में सजा
समाजसेवी गौरव बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने देश के कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से पत्र के जरिए मांग की थी कि जिलों में महिला उत्पीड़न के लिए अलग से कोर्ट बनें और रेप के मामले पर आरोपी को सजा एक साल के अंदर मिले। लेकिन हमारे शासकों ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया। जिसके चलते रेप पीड़िताओं को 10 से 12 साल तक न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं। वहीं आरोपी इस दौरान बेल करा जेल से बाहर आ जाते हैं और पीड़िताओं को धन, बाहुबल के जरिए केस वापस लेने का दबाव बनाने हैं। साथ ही आरोपी गवाहों को गुमराह कर कोर्ट से बरी हो जाते हैं। छात्रा याना जायसवाल ने बताया कि कानपुर में एक रईसजादे ने अपनी पत्नी की निर्मम हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद अभी भी मृतका के परिजनों को न्याय नहीं मिला। शहर में ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां आज भी पीड़ित महिला कई-कई साल को न्याय पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रही है।
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