स्टार्टल सिंड्रोम से है पीडि़त
अजीब तरह की इस बीमाीर के बारे में जब डॉक्टरों ने पड़ताल की तो पता चला कि यह दुनिया की एक रेयर बीमारी है, जिसका नाम है स्टार्टल सिंड्रोम। वैसे यह बीमारी बहुत कम नवजात या बच्चों में होती है। जबकि वयस्कों में यह बीमारी 10 लाख लोगों में किसी एक में होती है। अमेरिका में इस बीमारी का प्रतिशत ज्यादा है। वहां यह बीमारी 40 हजार में एक को होती है।
अजीब तरह की इस बीमाीर के बारे में जब डॉक्टरों ने पड़ताल की तो पता चला कि यह दुनिया की एक रेयर बीमारी है, जिसका नाम है स्टार्टल सिंड्रोम। वैसे यह बीमारी बहुत कम नवजात या बच्चों में होती है। जबकि वयस्कों में यह बीमारी 10 लाख लोगों में किसी एक में होती है। अमेरिका में इस बीमारी का प्रतिशत ज्यादा है। वहां यह बीमारी 40 हजार में एक को होती है।
फाल्ट जोडऩे का करता था काम
बताया जाताा है कर्नलगंज निवासी कयूम बिजली विभाग के लिए काम करता था। 8 जनवरी को पी-रोड इलाके में फाल्ट ठीक करते समय उसे करंट का तगड़ा झटका लगा था। जिसके बाद उसके हाथ झुलस कर टेढ़े-मेढ़े हो गए थे। उसका एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज चला। घाव कुछ हद तक ठीक हो गया, मगर पूरी तरह राहत नहीं मिली। परिजनों ने उसे इलाज के लिए हैलट अस्पताल में भर्ती कराया। कयूम को अभी भी बिजली के झटके का एहसास होता है और वह बेड से उछल पड़ता है। अगर उसके आस-पास किसी ने ताली बजा दी या कोई बर्तन बेड से नीचे गिर जाए तो तीन-चार मिनट तक वह बेड पर उछलता रहता है। झटके के खौफ में वह बेड पर ही पड़ा रहता है।
बताया जाताा है कर्नलगंज निवासी कयूम बिजली विभाग के लिए काम करता था। 8 जनवरी को पी-रोड इलाके में फाल्ट ठीक करते समय उसे करंट का तगड़ा झटका लगा था। जिसके बाद उसके हाथ झुलस कर टेढ़े-मेढ़े हो गए थे। उसका एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज चला। घाव कुछ हद तक ठीक हो गया, मगर पूरी तरह राहत नहीं मिली। परिजनों ने उसे इलाज के लिए हैलट अस्पताल में भर्ती कराया। कयूम को अभी भी बिजली के झटके का एहसास होता है और वह बेड से उछल पड़ता है। अगर उसके आस-पास किसी ने ताली बजा दी या कोई बर्तन बेड से नीचे गिर जाए तो तीन-चार मिनट तक वह बेड पर उछलता रहता है। झटके के खौफ में वह बेड पर ही पड़ा रहता है।
जान जाने का खतरा
इस बीमारी से पीडि़त मरीजों में सबसे बड़ा खतरा हार्टअटैक का होता है। चौंककर उछल पडऩे से हार्टफेल हो सकता है। अचानक शोर से मरीज इतना डर जाता है कि उसके हार्ट की गति असंतुलित हो जाती है। इस बीमारी में मृत्यु की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसलिए इन मरीजों को बिल्कुल शांत वातावरण में रखा जाता है। इलाज करने वाले मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि ब्रेन के स्टेम सेल एरिया में बड़ी इंजरी हुई है। ब्रेन का यह वह एरिया है जो चेतना के लिए जिम्मेदार है। इससे उसकी हालत पैरालिसिस जैसी हो गई है। यह बीमारी ठीक होगी मगर लम्बे समय तक इलाज चलेगा।
इस बीमारी से पीडि़त मरीजों में सबसे बड़ा खतरा हार्टअटैक का होता है। चौंककर उछल पडऩे से हार्टफेल हो सकता है। अचानक शोर से मरीज इतना डर जाता है कि उसके हार्ट की गति असंतुलित हो जाती है। इस बीमारी में मृत्यु की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसलिए इन मरीजों को बिल्कुल शांत वातावरण में रखा जाता है। इलाज करने वाले मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि ब्रेन के स्टेम सेल एरिया में बड़ी इंजरी हुई है। ब्रेन का यह वह एरिया है जो चेतना के लिए जिम्मेदार है। इससे उसकी हालत पैरालिसिस जैसी हो गई है। यह बीमारी ठीक होगी मगर लम्बे समय तक इलाज चलेगा।
बीमारी के लक्षण
डॉ. प्रेम सिंह एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन विभाग ने बताया कि करंट के झटके के बाद आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल बीमारी वयस्कों को होती है। मरीज को स्टार्टल सिंड्रोम डायग्नोस हुआ है। ब्रेन में इंजरी से उसकी आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है। यह भी इस सिंड्रोम का बड़ा लक्षण है। यह बीमारी वयस्कों में रेयर होती है। इस बीमारी के चलते मांसपेशियों में अकडऩ, पेट में सूजन, चलने का तरीका बदल जाना, सांस लेने में परेशानी, आंखों से कम दिखाई पडऩा, मायोक्लोनिक झटके आना (मांसपेशियों में अकडऩे से झटके),कभी- कभी उछलकर बेड से जमीन पर गिर जाना, बात- बात पर रो पडऩा, तनाव जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं।
डॉ. प्रेम सिंह एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन विभाग ने बताया कि करंट के झटके के बाद आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल बीमारी वयस्कों को होती है। मरीज को स्टार्टल सिंड्रोम डायग्नोस हुआ है। ब्रेन में इंजरी से उसकी आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है। यह भी इस सिंड्रोम का बड़ा लक्षण है। यह बीमारी वयस्कों में रेयर होती है। इस बीमारी के चलते मांसपेशियों में अकडऩ, पेट में सूजन, चलने का तरीका बदल जाना, सांस लेने में परेशानी, आंखों से कम दिखाई पडऩा, मायोक्लोनिक झटके आना (मांसपेशियों में अकडऩे से झटके),कभी- कभी उछलकर बेड से जमीन पर गिर जाना, बात- बात पर रो पडऩा, तनाव जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं।