हैलट अस्पताल के कई वार्डों में खिड़कियां पूरी तरह से जाम हैं, वे खुल नहीं सकतीं। ऊपर से पंखे से नाम मात्र की हवा भी नहीं मिल रही है। पंखे इतना धीमें चलते हैं कि हवा ही नहीं लगती। कुछ मरीजों ने अपने लिए अपने खर्चे पर पंखे और कूलर का इंतजाम कर रखा है पर बार-बार होने वाली बिजली कटौती से मरीजों का दम फूलने लगता है।
अस्पताल में लगी एसी की मरम्मत के लिए जिस कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी उसका ३० लाख रुपया अस्पताल पर बकाया हो चुका है। पैसे का भुगतान न होने पर भी कंपनी काम कर रही थी पर जब उन्हें पता चला कि भुगतान के लिए इस मद में कोई बजट नहीं आया है तो कंपनी ने मरम्मत की जिम्मेदारी से हाथ पीछे खींच लिए। आज भी अस्पताल की ६० फीसदी एसी की सर्विस नहीं हो पायी है।
गर्मियों में तो मरीजों का पहले से ही बुरा हाल था, उस पर पानी की किल्लत ने कोढ़ में खाज का काम किया है। हालत यह है कि ओपीडी में एक वाटर कूलर लगा हुआ है और इससे चार हजार मरीजों और तीमारदारों को पानी दिया जाता है, जो पूरा नहीं पड़ता और पानी को लेकर मारमारी मची रहती है।