कृति ने केवल बीस दिन में एक नावेल लिख डाला। इस नावेल में यह बताया किया है कि तीन अलग-अलग देशों में पांच हत्याएं होती हैं। मारने वाली तीन युवतियां हैं। एक वक्त ऐसा भी आता है कि तीनों किसी अन्य देश में एक साथ रहने लगती हैं। इन हत्याओं की गुत्थी सुलझती है तो जो सच सामने आजा है वह काफी चौंकाने वाला होता है। वे तीन अलग-अलग युवती नहीं थीं। बल्कि एक ही युवती थी जो अलग-अलग तरह से बर्ताव कर रही थी। ये युवती बचपन में अपने पिता के दोस्त से यौन शोषण का शिकार हुई थी। डिसेसिएटिव आईडेंटिटी डिसआर्डर बीमारी पर आधारित यह अमेरिकन स्टाइल क्राइम थ्रिलर लिखा है कीर्ति श्रीवास्तव ने। वह भी ऐसी हालत में जब वे खुद पैरों से लाचार थीं।
कृति श्रीवास्तव के पिता अनिल कुमार श्रीवास्तव ग्रामीण बड़ौदा बैंक में अधिकारी रहे हैं। कीर्ति इन दिनों भारतीय स्टेट बैंक जयपुर में डिप्टी मैनेजर (क्रेडिट एनालिस्ट) के पद पर कार्यरत हैं।
कृति श्रीवास्तव के पिता अनिल कुमार श्रीवास्तव ग्रामीण बड़ौदा बैंक में अधिकारी रहे हैं। कीर्ति इन दिनों भारतीय स्टेट बैंक जयपुर में डिप्टी मैनेजर (क्रेडिट एनालिस्ट) के पद पर कार्यरत हैं।
17 जून को वह जयपुर से कानपुर लौट रही थीं तो उसी दौरान रास्ते में एक्सीडेंट हो गया और वह बुरी तरह घायल हो गईं। एक पैर फ्रैक्चर हो गया। इलाज के दौरान वह अस्पताल की सीढिय़ों से फिसल गईं और उनका दूसरा पैर भी टूट गया। डॉक्टरों को दोनों पैरों का ऑपरेशन करना पड़ा। पैर से लाचार कीर्ति ने इस वक्त को यादगार बनाने की ठान ली और ऐसा कर दिखाया जो वाकई में यादगार बन गया। उन्होंने अपने लिखने-पढऩे के शौक को नया आयाम देने की कोशिश की। क्राइस्टचर्च कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट कीर्ति ने डिसेसिएटिव आईडेंटिटी डिसआर्डर बीमारी को आधार पर बनाकर क्राइम थ्रिलर पर लिखना शुरू किया। हैरानी की बात यह रही कि कृति ने केवल 20 दिन में ही 218 पेज का उपन्यास लिख डाला। कीर्ति को अमेरिकन स्टाइल फिक्शन में रुचि है। उनके घर पर 500 नावेल का कलेक्शन है।
‘द मी यू विल नेवर नोÓ…
कीर्ति ने अपने उपन्यास का नाम रखा ‘द मी यू विल नेवर नोÓ। भारत, सिंगापुर और मलेशिया में काम करने वाली प्रकाशक कंपनी नोशनप्रेसडॉटकॉम ने यह नावेल प्रकाशित किया। 4 अगस्त को इसका पहला संस्करण बाजार में आया। अब ये उपन्यास अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है। पहली किताब की सफलता से गदगद कीर्ति अब दूसरे उपन्यास पर काम कर रही हैं।
‘द मी यू विल नेवर नोÓ…
कीर्ति ने अपने उपन्यास का नाम रखा ‘द मी यू विल नेवर नोÓ। भारत, सिंगापुर और मलेशिया में काम करने वाली प्रकाशक कंपनी नोशनप्रेसडॉटकॉम ने यह नावेल प्रकाशित किया। 4 अगस्त को इसका पहला संस्करण बाजार में आया। अब ये उपन्यास अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है। पहली किताब की सफलता से गदगद कीर्ति अब दूसरे उपन्यास पर काम कर रही हैं।
कीर्ति बताती हैं कि डिसेसिएटिव आईडेंटिटी डिसआर्डर एक मनोरोग है। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अनजाने में अलग-अलग शख्सियतों के रूप में व्यवहार करने लगता है। ऐसी मनोदशा किन स्थितियों में हो सकती है यह बताने का प्रयास किया है। कृति का यह उपन्यास ऑस्ट्रेेलिया की सत्य घटना से प्रेरित है।