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किसान के बेटे को मिला गोल्ड मेडल, तो पिता बोले -खुली आंखों से देखा ख्वाब अब हुआ पूरा

locationकानपुरPublished: Jun 28, 2016 11:30:00 am

मेहनत
रंग लाई और आज मेरे लाल ने नाम ऊंचा कर दिया।

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कानपुर। साहब उम्र पचास के पार हो गई है, हाथ पर हल और बैलों की लगाम तीस साल से रही। कभी अपनी खेत की मेड़ पार नहीं की। लेकिन बच्चे ने आज दुनिया अपनी मुट्ठी में कर ली है। आज खुली आंखों से देखा गया ख्वाब सच में पूरा हुआ, कि गई मेहनत सफल हो गई। यह बात पत्रिका से खास बातचीत के दौरान आईआईटियन के केमिस्ट्री से एमएससी करने वाले अमित के पिता रणजीत सिंह ने कही । सिंह ने बताया कि वह सोनीपत हरियाणा के रहने वाले हैं। गांव में खेती करते हैं। खुद तो आठवीं तक पढ़ सके लेकिन बेटे की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत कर उसे आगे बढ़ रहे कदम पर कभी पैसों की कमी आने नहीं दी। मेहनत रंग लाई और आज मेरे लाल ने नाम ऊंचा कर दिया।

प्राथमिक तक की एजूकेशन गांव से की


रणजीत सिंह ने बताया कि बेटे ने प्राथमिक की शिक्षा गांव के प्राथमिक स्कूल से की। बेटे ने दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई सोनीपत से की और वहीं रहकर आईआईटी के तैयारी की। पहले बार आईआईटी की परिक्षा में बैठा और ऑल इंडिया में पांचवी रैंक लाकर मेरा दिल चौड़ा कर दिया। सिंह ने बताया कि अमित का छोटा भाई भी इसी की तरह पढ़ने में अव्वल है, वह आईएएस अधिकारी बनकर गांव में एजूकेशन के स्तर के काम को बढ़ाना चाहता है। फिलहाल उसका सेलेक्शन एमपी पीसीएस में हो गया था, लेकिन उसने नौकरी नहीं की वह दिल्ली में रहकर आज भी आईएएस की तैयारी कर रहा है। सिंह के मुताबिक अगर आपने मेहनत पूरी ईमानदारी से की है तो वह कभी खराब नहीं होगी।

अमेरिका में रहकर अपने गांव में खुलवाया स्कूल

आईआईटी के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि बैफैलो विश्वविद्यालय अमेरिका के अध्यक्ष प्रो. सतीश के. त्रिपाठी ने कहा कि वह 44 वर्षो से देश से बाहर रह रहे हैं। आगे भी वे वहीं रहेंगे लेकिन वह अपने देश को भूले नहीं हैं। अपने गृह जिले अंबेडकर नगर में बच्चों के लिए 12वीं तक का स्कूल खोला है। उनका मानना है कि तकनीकी शिक्षा से पहले स्कूली शिक्षा की नींव मजबूत होना जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उस जगह स्कूल खोला है जहां वे पले बढ़े थे। वे चाहते हैं कि उनके गृह जनपद के बच्चे भी भविष्य के वैज्ञानिक व शिक्षाविद् बनें। उन्होंने अपने देश में शिक्षा प्राप्तकरके 1978 में मैरीलैंड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस विभाग में बतौर शिक्षक पढ़ाया। इस विश्वविद्यालय में उन्होंने19 वर्ष अपनी सेवाएं दीं। उनके देश के बच्चों में भी यह क्षमता है। वह चाहते हैं कि यहां के बच्चे विदेशों में जाकर अपने देश का नाम रोशन करें।

शतंरज के बादशाह आज देंगे लेक्चर

आईआईटी के दीक्षा समारोह में शिरकत करने के लिए भारत के पहले ग्रांड मास्टर विश्वनाथन आनंद देर शाम पत्नी के साथ पहुंचे। आज समारोह के दौरान उन्हें डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम के बाद वे छात्रों से मिलेंगे और शतरंज पर अपना एक लेक्चर भी देंगे। इसके अलावा वह छात्रों के सामने शतंरज का डेमो भी देंगे। ग्रांड मास्टर को पिछले वर्ष 48वें दीक्षांत समारोह के दौरान यह उपाधि प्रदान की जानी थी लेकिन वे किसी कारणवश नहीं आ पाए थे। इस साल उन्हें वह उपाधि दी जा रही है। देर शाम कैंपस पहुंचकर उन्होंने हास्टल, स्पोर्ट्स ग्राउंड समेत अन्य चीजों को देखने में अपना वक्त गुजारा।
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