देश में वेंटीलेटर की कमी होगी पूरी
एचबीटीयू के पूर्व छात्र की इस उपलब्धि से देश में वेंटीलेटर की कमी को पूरा किया जा सकेगा। आधुनिक तरीके के इस वेंटीलेटर से कहीं भी अस्पताल तैयार किया जा सकता है। बाजार में मिलने वाले वेंटीलेटर की कीमत लगभग सात लाख रुपए है, मगर एचबीटीयू के छात्र ने इसे सिर्फ 70 हजार रुपए में तैयार किया है। पूर्व छात्र ने यह वेंटीलेटर एम्बूबैग टेक्नोलॉजी के इलेक्ट्रोमकैनिकल वेंटीलेटर को रोबोटिक सिस्टम से बनाया गया है। एचबीटीयू से 2015 में कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने वाले शिवशंकर उपाध्याय शारदा नगर में रहते हैं। उनके मुताबिक वेंटीलेटर को आसानी से कहीं भी लाया और ले जाया का सकता है।
एचबीटीयू के पूर्व छात्र की इस उपलब्धि से देश में वेंटीलेटर की कमी को पूरा किया जा सकेगा। आधुनिक तरीके के इस वेंटीलेटर से कहीं भी अस्पताल तैयार किया जा सकता है। बाजार में मिलने वाले वेंटीलेटर की कीमत लगभग सात लाख रुपए है, मगर एचबीटीयू के छात्र ने इसे सिर्फ 70 हजार रुपए में तैयार किया है। पूर्व छात्र ने यह वेंटीलेटर एम्बूबैग टेक्नोलॉजी के इलेक्ट्रोमकैनिकल वेंटीलेटर को रोबोटिक सिस्टम से बनाया गया है। एचबीटीयू से 2015 में कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने वाले शिवशंकर उपाध्याय शारदा नगर में रहते हैं। उनके मुताबिक वेंटीलेटर को आसानी से कहीं भी लाया और ले जाया का सकता है।
हैलट और एयरफोर्स के डॉक्टरों ने किया प्रमाणित
पूर्व छात्र शिवशंकर उपाध्याय ने बताया कि यह वेंटीलेटर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी लाभदायक होगा। आसानी से मरीजों का अस्पतालों तक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आनंदपुरी के एक निजी अस्पताल में हैलट और एयरफोर्स के डॉक्टरों के समक्ष आईसीयू में वेंटीलेटर का सफल ट्रायल किया जा चुका है। इसमें काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। अब प्रमाणित को आईसीएमआर व डीआरडीओ को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उनके समक्ष प्रस्तुतिकरण हो चुका है।
पूर्व छात्र शिवशंकर उपाध्याय ने बताया कि यह वेंटीलेटर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी लाभदायक होगा। आसानी से मरीजों का अस्पतालों तक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आनंदपुरी के एक निजी अस्पताल में हैलट और एयरफोर्स के डॉक्टरों के समक्ष आईसीयू में वेंटीलेटर का सफल ट्रायल किया जा चुका है। इसमें काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। अब प्रमाणित को आईसीएमआर व डीआरडीओ को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। उनके समक्ष प्रस्तुतिकरण हो चुका है।
वेंटीलेटर चलाना और ले जाना आसान
यह वेंटीलेटर अन्य महंगो वेंटीलेटर से ज्यादा सुविधाजनक भी है। इस वेंटीलेटर की तरह इसमें किसी भी तरह की नली, पाइप व हवा के फ्लो आदि की जरूरत नहीं है। सिर्फ बिजली की सप्लाई और एक बेड होना चाहिए। पोर्टेबल वेंटीलेटरको आसानी से एंबुलेंस में रखकर ले जाया जा सकता है। इसको शहर से लेकर गांव तक कहीं भी स्थापित कर उससे गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकता है। बिजली जाने पर भी मरीजों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। वेंटीलेटर में दो घंटे का बैटरी बैकअप रहता है। इसके अलावा यह 200 से 1500 तक ट्राइडल वाल्यूम तक काम करेगा और 10 से 50 तक ब्रीथ प्रति मिनट तक दे सकता है। प्रोग्रामिंग के जरिए काम होने से इसमें मैनपॉवर कम लगेगी और हर साल आने वाला रखरखाव का खर्चा दूसरे वेन्टीेलेटर के मुकाबले आधे से कम होगा।
हर मरीज पूरी तरह सुरक्षित
वर्तमान समय में चल रहे वेंटीलेटर पर एक मरीज का इलाज होने के बाद जब दूसरे का इलाज होता है तो कुछ इंफेक्शन होने की संभावना होती है। रक्षक वेंटीलेटर में एक मरीज का इलाज होने के बाद उसमें मौजूद रेस्पेरेट्री चैनल को बदल दिया जाता है। इससे अन्य मरीज के इलाज में किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होता है। चैनल बदलने की कीमत सिर्फ ढाई हजार होती है। इसलिए किसी भी तरह के इंफेक्शन का खतरा नहीं है।
यह वेंटीलेटर अन्य महंगो वेंटीलेटर से ज्यादा सुविधाजनक भी है। इस वेंटीलेटर की तरह इसमें किसी भी तरह की नली, पाइप व हवा के फ्लो आदि की जरूरत नहीं है। सिर्फ बिजली की सप्लाई और एक बेड होना चाहिए। पोर्टेबल वेंटीलेटरको आसानी से एंबुलेंस में रखकर ले जाया जा सकता है। इसको शहर से लेकर गांव तक कहीं भी स्थापित कर उससे गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकता है। बिजली जाने पर भी मरीजों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। वेंटीलेटर में दो घंटे का बैटरी बैकअप रहता है। इसके अलावा यह 200 से 1500 तक ट्राइडल वाल्यूम तक काम करेगा और 10 से 50 तक ब्रीथ प्रति मिनट तक दे सकता है। प्रोग्रामिंग के जरिए काम होने से इसमें मैनपॉवर कम लगेगी और हर साल आने वाला रखरखाव का खर्चा दूसरे वेन्टीेलेटर के मुकाबले आधे से कम होगा।
हर मरीज पूरी तरह सुरक्षित
वर्तमान समय में चल रहे वेंटीलेटर पर एक मरीज का इलाज होने के बाद जब दूसरे का इलाज होता है तो कुछ इंफेक्शन होने की संभावना होती है। रक्षक वेंटीलेटर में एक मरीज का इलाज होने के बाद उसमें मौजूद रेस्पेरेट्री चैनल को बदल दिया जाता है। इससे अन्य मरीज के इलाज में किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होता है। चैनल बदलने की कीमत सिर्फ ढाई हजार होती है। इसलिए किसी भी तरह के इंफेक्शन का खतरा नहीं है।