तीन जुलाई को थाने के अंदर मिला था शव, शुक्रवार को पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा
कानपुर•Jul 07, 2018 / 06:37 pm•
Vinod Nigam
दरोगा की पत्नी युवक को दे बैठी दिल, प्रेमी के साथ मिल बेहरमी से किया कत्ल
कानपुर। दरोगा पहले से शादीशुदा था, लेकिन हरदोई में तैनाती के दौरान एसकी मुलाकात एक महिला से हो गई। दोनों के बीच दोस्ती हुई और प्यार में बदल गई। दरोगा ने महिला के साथ सात फेरे ले लिए और उसे लेकर कानपुर के नवाबगंज इलाके में रहने लगा। कुछ दिन तक शहर में तैनात रहने के बाद उसका ट्रांसफर घाटमपुर कोतवाली के सजेती थाने में हो गया। वो सप्ताह में एक बार घर आता। इसी दौरान उसकी पत्नी के संबंध इलाके के युवक से हो गए और दोनों के बीच मोहब्बत हो गई। जब इसकी भनक दरोगा को हुई तो उसने विरोध किया और युवक को जेल भिजवाने की धमकी दी। पत्नी ने नए-नवेले प्रेमी के साथ पति की हत्या की प्लॉनिंग रच डाली। सोमवार की शाम पत्नी दरोगा से मिलने के लिए सजेती गई और कुछ देर बाद उसका प्रेमी दो अन्य साथियों के साथ आ धमका। चारों ने पहले शराब पी और फिर युवकों ने दरोगा को दबोच लिया और बेहरम पत्नी ने दरोगा के शरीर पर चाकू से हमला कर दिया। वो तब तक प्रहार करती रही, जब तक दरोगा की मौत नहीं हो गई। मारने के बाद चारों मौके से फरार हो गए।
तीन जुलाई को हुई थी हत्या
कानपुर के सजेती थाना परिसर में बने आवाज में 3 जुलाई को दरोगा पच्चा लाल का शव बरामद होने से हड़कंप मच गया। पच्चा लाल की हत्या बेरहमी से चाकू से गोदकर की गई थी। हत्यारों ने उसके शरीर पर 50 से ज्यादा बार वार किया था। थाना परिसर के भीतर दरोगा की हत्या की वारदात से जिले ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। पुलिस ने चार दिनों में हत्या की सनसनीखेज वारदात का खुलासा कर दिया। जिसके पीछे लव सेक्स और धोखा की कहानी सामने आयी। एसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि दरोगा पच्चा लाल की हत्या उसकी दूसरी पत्नी हरदोई निवासी किरन देवी अपने प्रेमी नवाबगंज क्षेत्र में रहने वाले रोडवेज कर्मी जितेन्द्र ने मिलकर की थी। एसएसपी ने बताया कि दरोगा की उम्र 60 साल के पार हो गई थी और इसी के चलते किरण ने उससे दूरी बना ली। पहले सारा पैसा हड़प, लिया फिर प्रेमी जीतेंद्र के साथ मिलकर उसे मौत के घाट उतार दिया।
हरदोई में हुई थी किरण से मुलाकात
दरोगा पच्चा लाल हरदोई में तैनाती के दौरान किरन देवी के सम्पर्क में आया। किरन पहले से शादीशुदा थी और पच्चा लाल भी दो बेटों की पिता था। दोनों के बीच दोस्ती हुई और पहली पत्नी होने के बावजूद पच्चा लान ने किरण के साथ सात फेरे ले लिए। कानपुर ट्रांसफर होने के बाद पच्चा लाल किरण व उसकी एक बेटा व दो बेटियों को लेकर नवाबगंज आ गया और किराए के मकान में रहने लगा। पच्चा लाल का ट्रांसफर सजेती थाने में हो गया और इसी का फाएदा किरण ने उठा लिया। किरन के क्षेत्र में रहने वाले रोडवेज कर्मी जितेन्द्र से अवैध सम्बंध हो गए, जिसके कारण अक्सर पच्चा लाल और किरन के बीच झगडा भी होता था। दरोगा से ऊब कर किरन और जितेन्द्र ने पच्चा लाल को रास्ते से हटाने की योजना बनाई।
नौकरी व पेंशन पर थी नजर
पच्चा लाल अगले माह रिटायर्ड होने वाले थे और उन्होंने पहली पत्नी के साथ रहने की प्लॉन बना लिया था। इसकी जानकारी किरण को हुई तो उसने प्रेमी जीतेंद्र से पच्चा लाल की हत्या करने की टान ली। किरण पच्चा लाल से छुटकारा पाने के साथ ही पेंशन और बेटे को नौकरी का लालच के चलते उसे मौत के घाट उतार दिया। किरण के प्रेमी जीतेंद्र ने औरैया के रहने वाले निजाम अली से संपर्क किया। निजाम टेलरिंग का काम करता है और उसने जितेंद्र का संपर्क राघवेंद्र उर्फ मुन्ना से कराया जो रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर का पुत्र है। हत्या की वारदात को अंजाम देने से पहले जितेंद्र कई बार सजेती थाने में पच्चा लाल से मिलने गया और उसने हालात का जायजा लिया। एसएसपी ने बताया कि किरण ने पच्चा लाल की नौकरी व पेंशन के चलते उससे फिर से दोस्ती करनी चाही, लेकिन दरोगा उसे किसी भी कीमत पर पैसा देने को तैयार नहीं था।
2 जुलाई को बनाई योजना
एसएसपी के मुताबिक 2 जुलाई को तय योजना के तहत जितेंद्र राघवेंद्र को लेकर सजेती पहुंचा। जीतेंद्र, राघवेंद्र व अन्य एक युवक ने शराब पी और फिर दरोगा पकड़ लिया और मारने का प्रयास किया। दरोगा पच्चा लाल तीनों पर भारी पड़ गए। इसी दौरान किरण ने पीछे से चाकू से वार कर दिया। जिससे दरोगा जमीन पर गिर गए। तीनों ने उसे दबोच लिया और फिर किरण ने चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दरोगा को मौत के घाट उतार दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद वह रक्त-रंजित चाकू वहीं पर छोड़ कर फरार हो गए। पुलिस को इस हत्या की जानकारी अगले दिन 3 जुलाई को तब हुई जब पच्चा लाल के कमरे का दरवाजा नहीं खोला। वारदात के दौरान राघवेंद्र उर्फ मुन्ना के हाथ का खून से सना पंजा दीवार पर लगा गया। उसके निशान दीवार पर बन गए जो वारदात के खुलासे में अहम सुराग साबित हुआ। पुलिस को पहले से ही वारदात में किसी करीबी के शामिल होने का शक था।