कानपुर का एक्शन प्लान यूं ही फेल नहीं हुआ है. संबंधित विभागों ने अपनी जिम्मेदारी का सही से निर्वहन नहीं किया. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तैयार एक्शन प्लान में कई विभागों को प्रदूषण प्रदूषणसे निजात दिलाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. आईएएस भूरे लाल की कमेटी ने कुछ सालों पहले रिपोर्टदी थी. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी विभागों की लापरवाही से प्रदूषण बढ़ रहा है. पीसीबी व सीपीसीबी के साथ शासन स्तर पर भी सतर्कता को लेकर बैठकें हुईं. विभागवार जिम्मेदारी तक करते हुए एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया गया था.
एक्शन प्लान में सबसे बड़ी भूमिका नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की थी. इन्हें सड़कों को इस लायक रखना था कि ट्रैफिक सही से चले. वहीं इस मामले में कानपुर की स्थिति देश के तमाम शहरों से ज्यादा खराब है. रही सही कसर जेएनएनयूआरएम के तहत पाइप लाइन को दस सालों से लगातार हो रही खुदाई ने पूरी कर दी है. इससे उठने वाली धूल तो परेशान करती ही है, साथ ही साथ गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का भी उत्सर्जन भारी मात्रा में होता है. नगर निगम और पीडब्ल्यूडी गंभीर हो जाए तो प्रदूषण को 25 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.
2011 से 2021 तक के लिए कानपुर का मास्टर प्लान बनाया गया था. इसमें आंकलन लगाया गया था कि 2021 तक शहर की आबादी 51 लाख हो जाएगी. इसमें भी शहर की जनसंख्या 45 लाख तक पहुंचने की बात कही गई थी. इसी के साथ आसपास के 301 गांव की आबादी 6 लाख तक पहुंचने की बात कही गई थी. इसमें स्टडी व सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया था कि प्रति हेक्टेयर 300 लोगों की वृद्धि हो रही है.