कानपुर

दिल की बीमारी से बचना है तो अंडा-मुर्गा छोड़कऱ दाल खाइए

दलहन अनुसंधान में कई किस्म की अरहर-मूंग और उरद विकसित नसों और गुर्दों की बीमारी को दूर करने में सक्षम नई किस्म

कानपुरSep 06, 2019 / 09:59 am

आलोक पाण्डेय

दिल की बीमारी से बचना है तो अंडा-मुर्गा छोड़कऱ दाल खाइए

कानपुर। दिल और गुर्दे की बीमारी से बचना है तो अंडे और मुर्गे का स्वाद भूलकर दाल खाना शुरू कीजिए। ये दालें आपको इन रोगों से बचाकर रखेंगी। कानपुर के भारतीय दलहल अनुसंधान संस्थान ने दालों की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जो जिनमें दिल और गुर्दे को सुरक्षित रखने वाले तत्व मौजूद रहते हैं। अरहर और मूंग की ये दालें न केवल आपको भरपूर प्रोटीन देंगी, बल्कि शरीर के दो खास अंग दिल और गुर्दे को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करेंगी।
एक दर्जन प्रजातियों पर रिसर्च
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. नरेंद्र प्रताप सिंह ने संस्थान के २६वें स्थापना दिवस पर बताया कि संस्थान में दालों की एक दर्जन प्रजातियों पर रिसर्च चल रहा है, ताकि उनमें बीमारियों से बचाने वाले गुणों की तलाश कर उन्हें विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अब उन दलहनी प्रजातियों पर रिसर्च होगी जो रोगों से बचाने में मददगार हों। ऐसी प्रजातियों को विकसित किया जाएगा। किसानों को भी इसी तकनीक की मदद से दालों का उत्पादन करने में मदद दी जाएगी। जल्द ही सेहतमंद बनाने वाली दालों की कई प्रजातियां बाजार में होंगी।
नसों की बीमारियां होंगी कम
आईआईपीआर के पूर्व निदेशक डॉ. मसूद अली ने बताया कि दालों से दिल की बीमारियों के अलावा हाईपरटेंशन और नसों की बीमारियों को भी कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि संस्थान में दालों की ऐसी प्रजातियां विकसित करने की तकनीक है जो अधिक प्रोटीन, ज्यादा जिंक और आयरन व खनिज, विटामिंस रखती हों। पूर्व निदेशक डॉ. शंकरलाल ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में होने वाली दालों की प्रजातियां भी विकसित की जानी चाहिए।
सम्मानित हुए वैज्ञानिक
आईआईपीआर के स्थापना दिवस पर संस्थान के डॉ. आरके मिश्र को सम्मानित किया गया। इसके अलावा कुछ अन्य वैज्ञानिकों व तकनीकी सहयोगियों का भी सम्मान किया गया। इसके साथ ही किसानों को फील्ड भ्रमण कराकर विकसित तकनीक से परिचित कराया गया।
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