इन लोगों को हो सकता है खतरा प्रफेसर रंजन ने कहा कि कोरोना वायरस के जिस एक्सई सब-वैरिएंट से चौथी लहर आने की आशंका जताई जा रही है, वह वास्तव में ओमिक्रॉन से पूरी तरह अलग नहीं है। उन्होंने बताया कि तीसरी लहर आने के बाद भी हमारी टीम का आंकलन था कि अब कुछ महीनों में लोकल स्तर पर केस बढ़ेंगे। ओमिक्रॉन से आई तीसरी लहर को बीते अभी 2-3 महीने ही हुए हैं। लहरें इतनी जल्दी नहीं आतीं। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के बाद सरकारी तौर पर सारी पाबंदियां हटा दी गई हैं। ऐसे में आबादी का 10-20 प्रतिशत वह हिस्सा, जो बीते 2 साल में कभी वायरस की चपेट में नहीं आया, या जिन्हें सबसे पहले कोविड हुआ था, वे इसका शिकार हो सकते हैं।
इस बार वायरस से संक्रमण हल्का सहायक प्रफेसर रंजन ने कहा कि कोरोना को लेकर अभी तक हमने जो स्टडी की है, उससे ये पता चला है कि ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट एक्सई और बीए.2 वैक्सीन और पुराने संक्रमण से पैदा हुई इम्यूनिटी को धोखा देने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में 80-90 प्रतिशत सीरो-पॉजिटिविटी मायने नहीं रखती, लेकिन एक बात तय है कि इस बार वायरस से संक्रमण बहुत हल्का होगा। सरकार को नजर रखने की जरूरत है। अगर अभी आ रहे 250-300 केस बढ़कर 10 हजार चले जाएं तो चिंता की बात होगी।