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रोबोट बताएगा गंगा के पानी की सेहत, नदियों की लहरों और सौर ऊर्जा से होगा चार्ज, आईआईटी कानपुर ने किया तैयार

locationकानपुरPublished: Oct 25, 2021 05:04:34 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

IIT Kanpur in Collaboration with US Institute made Hich Tech Robot- आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के विशेषज्ञों ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो गंगा के पानी की सेहत को बताएगा। पानी कितना शुद्ध है, प्रदूषण स्तर व अन्य कारकों की जानकारी यह रोबोट देगा। इसकी रिपोर्ट संस्थान या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय में पहुंच जाएगी। रोबोट को यूएसए की ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के सहयोग से बनाया गया है।

IIT Kanpur in Collaboration with US Institute made Hich Tech Robot

IIT Kanpur in Collaboration with US Institute made Hich Tech Robot

कानपुर. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के विशेषज्ञों ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो गंगा के पानी की सेहत को बताएगा। पानी कितना शुद्ध है, प्रदूषण स्तर व अन्य कारकों की जानकारी यह रोबोट देगा। इसकी रिपोर्ट संस्थान या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय में पहुंच जाएगी। रोबोट को यूएसए की ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के सहयोग से बनाया गया है। इसमें कई तरह के सेंसर लगे हुए हैं, जो कि पानी का हाल बताएंगे। पहला रोबोट बिठूर के पास गंगा पुल पर लगाया जाएगा। यह रोबोट 365 दिन काम करेगा। इस मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य और उनकी टीम ने तैयार किया है। यह तकनीक इंडो यूएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत विकसित हुई है।
नवंबर में हो सकता है पेटेंट

इस अनोखे रोबोट को साल के अंत तक नवंबर में पेटेंट किया जा सकता है। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी समेत अन्य जिलों में 100 रोबोट लगाने की प्लानिंग है। प्रो भट्टाचार्य के मुताबिक देश में यह अलग तरह की तकनीक पर काम करेगा। इसमें हाई सेंसर लगे हुए हैं, जो कि किसी भी तरह के पानी में बदलाव की जानकारी दे सकेंगे। यह विशेषता डॉल्फिन और अन्य मछलियों में होती है, जिसकी वजह से वे समुद्र और अन्य गहरी नदियों में तरंगों के माध्यम से खतरे या दूसरे बदलाव का पता लगा लेती हैं।
विभिन्न केमिकल्स की रिपोर्ट देगा रोबोट

यह रोबोट सीओडी, बीओडी, कनेक्टिविटी, घुलित इन ऑर्गेनिक कार्बन समेत कई तरह के केमिकल्स की रिपोर्ट देगा। इसका सर्वर आईआईटी में लगाया जा रहा है। यह फ्लोटिंग तकनीक पर आधारित काम करेगा। रोबोट को पानी में एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है।
इनसेट

एनएमसीजी का दावा
97 में से 68 जगह गंगाजल स्नान के लायक, पानी की गुणवत्ता में सुधार

स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा का दावा है कि 97 में से 68 जगह गंगा का पानी स्नान के लायक है। गंगा के पानी की गुणवत्ता में 2014 के बाद से उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पूरी नदी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर निर्धारित न्यूनतम मानक से अधिक है। जबकि 2014 में सिर्फ 32 स्थानों पर स्नान के लिए जल की गुणवत्ता बीओडी मानकों के अनुरूप थी।
2015 में करीब 20,000 की अनुमानित लागत के साथ नमामि गंगे व एनएमसीजी की शुरुआत की गई थी। इसके तहत अब तक सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, घाट विकास, जलीय जैव विविधता और सार्वजनिक जुड़ाव जैसी 30,255 करोड़ रुपये की लागत की 347 परियोजनाओं को मंजूर किया जा चुका है।
जितनी ज्यादा बीओडी उतना कम ऑक्सीजन

गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार का कारण लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंध और पर्याप्त बारिश से नदी में बेहतर प्रवाह है। नदी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) जितना ज्यादा होता है, ऑक्सीजन की कमी उतनी ज्यादा होती है। बीओडी जल में मौजूद बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन खपत को प्रदर्शित करती है।

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