अब स्मार्ट तरीके से खेती कराएगा आईआईटी
कानपुर वासियों के लिए एक अच्छी खबर है. वह ये कि आईआईटी कानपुर किसानों को स्मार्ट क्लासेज के जरिए खेती किसानी के गुर सिखाएगा. है न मजेदार बात.

कानपुर। कानपुर वासियों के लिए एक अच्छी खबर है. वह ये कि आईआईटी कानपुर किसानों को स्मार्ट क्लासेज के जरिए खेती किसानी के गुर सिखाएगा. है न मजेदार बात. किसान अपने गांवों से हरियाणा और पंजाब जैसे प्रदेशों के उन्नतशीलों किसानों से रूबरू होंगे. इसके अलावा लाइव वीडियो से भी किसानों को बहुत तरीके के जानकारियां दी जाएंगी. मसलन, दूसरे प्रदेशों के किसान कैसी खेती करते हैं. सिंचाई, फर्टिलाइज़र और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कैसे करते हैं.
आगे बताया गया है ऐसा
इसके बारे में बताया गया है कि इसका वीडियो संस्थान से ही संचालित किया जाएगा. आईआईटी ने इस बार उन्नत भारत अभियान की रणनीति बदली है. इस अभियान की वर्षगांठ पर आयोजित कार्यशाला में एजेंडे का भी खुलासा किया गया. इसके तहत पांच बड़े कोर इश्यू तय किए गए हैं.
गोद लिया गांवों को
इतना ही नहीं, इसके तहत संस्थान के वैज्ञानिक कुछ नए गांवों को भी गोद लेंगे. अभी तक पांच गांवों में अभियान के तहत कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अभियान की संयोजक डॉ. रीता सिंह ने कहा है कि स्मार्ट क्लासेस में देश के किसी भी गांव के मॉडल को लिया जा सकता है. उन गांवों के किसानों से यहां के किसानों को परिचित कराएंगे. इसके लिए तकनीकि रूप से पूरी तैयारी की जा रही है. समय की कमी होने के चलते गांवों से संपर्क करने में ज्यादा समय लग जाता है. आगे चलकर इसकी कनेक्टिविटी आईआईटी से जोड़ दी जाएगी. इसको लेकर गांव में एक दो छात्र आएंगे जो क्लासेस को संचालित करने में मदद करेंगे.
छात्रों को जोड़ा गया मुहिम से
इसके लिए बीटेक प्रथम वर्षके छात्रों को मुहिम से जोड़ा जाएगा. इसके इतर गांव में एक रिसोर्स सेंटर को भी स्थापित किया जाएगा. इससे कुछ कंपनियों को भी जोड़ा जाएगा. इस दौरान प्रो. संदीप संगला ने एक वर्ष के दौरान हुए कार्यों के बारे में बताया. निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि हर स्तर पर गांवों को उन्नत बनाने की आईआईटी की पूरी कोशिश है. कार्यशाला में विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधियों व आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने भी हिस्सा लिया.
इन्होंने किया विकसित
यहां ज्यादा जानकारी के लिए बता दें कि इस पूरी तकनीक को विकसित करने वाले सिविल इंजीनियरिंग के बीटेक छात्र हरिशंकर ने लगभग 80 लाख का ऑफर छोड़कर इस तकनीक को आगे बढ़ाने की ठानी है. वह कहते हैं कि किसानों को जितनी जल्दी बायो फर्टिलाइज़र तैयार मिल जाएगा, ये उनके लिए उतना ही ज्यादा फायदेमंद होगा.
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