यही नहीं, यहां ये भी बताते चलें कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, यूपीपीसीएल, नेशनल इलेक्ट्रिकल अथॉरिटी के साथ कुछ प्राइवेट कंपनियों को समय-समय पर ऐसा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराएंगे. इसकी मदद से किसी तरह के भी हमलों को रोका जा सकता है.
इस बारे में संस्थान के वैज्ञानिक प्रो. संदीप शुक्ला बताते हैं कि अभी तक हुए साइबर हमलों की डिटेल जुटाई गई है. फिलहाल साइबर हमलों से बचने के उपायों पर रिसर्च एक सिरे से शुरू कर दी गई है. कुछ मिलाकर अब ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा, जिसकी मदद से बिजली इकाइयां किसी भी तरह का साइबर हमला झेल पाने में सक्षम होंगी.
इसमें हाइड्रो और ताप बिजली के साथ एटॉमिक एनर्जी भी शामिल है. इस बारे में आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर कहते हैं कि साइबर सिक्योरिटी देश की बड़ी चिंता का विषय है. इस क्षेत्र में नए अनुसंधान संस्थान में किए जाएंगे. ताकि इससे सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि दुनिया को भी निजात दिलाई जा सके.
इस नए प्रोजेक्ट पर रिसर्च करने के लिए आईआईटी परिसर में एक बिजली घर भी बनाने की ऑपचारिकताएं शुरू हो चुकी हैं. इस बारे में यहां के प्रोफेसर संदीप शुक्ला बताते हैं कि फिलहाल टेस्ट बेड में बिजली बनाई जाएगी और फिर उसका वितरण किया जाएगा. यही नहीं टेस्ट बेड पर तरह-तरह के साइबर हमलों का भी परीक्षण किया जाएगा. इसके लिए जरूरी बजट केंद्र सरकार की ओर से जारी किया जाएगा.
यहां ये बताना बेहद जरूरी होगा कि बिजली घरों को साइबर हमलों से बचाने के लिए होने वाला रिसर्च दुनिया के किसी भी देश में बेहतर होगा. इस बारे में आईआईटी के विशेषज्ञ प्रोफेसर संदीप शुक्ला बताते हैं कि अमेरिका में सिर्फ तीन टेस्ट बेड हैं. फिलहाल इन तीनों पर रिसर्च हो रही है.