पीएम-१ यानि हवा में घुले प्रदूषण के सबसे छोटे कण जो हमारी सांस की नली के जरिए खून तक पहुंचकर उसे दूषित बनाते हैं और जिससे शरीर में तमाम तरह की व्याधियां पैदा होती हैं। इन कणों को कोई भी मशीन नहीं देख पाती। अब इन कणों की जानकारी मिलने से इनकी रोकथाम की जा सकेगी, साथ ही लोगों को यह भी बताया जा सकेगा कि किस इलाके में पीएम-१ की मात्रा ज्यादा है। इससे लोग वहां पर जाने से बच सकते हैं।
आईआईटी ने शहर में कई जगह पर प्रदूषण मापक यंत्र लगाए हुए हैं। जिससे शहर के अलग-अलग इलाकों में हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है। मगर ये यंत्र केवल पीएम-२.५ से लेकर पीएम-१० तक के प्रदूषण की ही जानकारी देते हैं। किसी भी इलाके में पीएम -१ के प्रदूषण की जानकारी नहीं मिल पाती है। पीएम-२.५ निगेटिव होने पर उस क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त माना जाता है, जबकि उस इलाके में पीएम-१ है या नहीं, इसका पता नहीं चलता और लोग प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं।
आईआईटी में बनाया गया नया पीएम-१ सैम्पलर अपनी परिधि में आए प्रदूषण के सभी छोटे-छोटे कणों को भी सोख लेगा। इस यंत्र में यह क्षमता है कि वह एक माइक्रॉन से छोटे कण भी सोख लेता है। यह यंत्र देश भर में १०० स्थानों पर लगाया गया है। आईआईटी ने इसके लिए इंडस्ट्री वाले इलाकों को प्राथमिकता दी है, क्योंकि उन जगहों पर प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है।