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प्रदूषण के सबसे छोटे कण भी आएंगे नजर, आईआईटी ने बनाया देश का पहला ऐसा यंत्र

locationकानपुरPublished: Jan 18, 2020 02:16:36 pm

पीएम वन सैम्पलर बनाकर संस्थान ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
खून तक पहुंचने वाले प्रदूषण के कणों की मिल सकेगी जानकारी

प्रदूषण के सबसे छोटे कण भी आएंगे नजर, आईआईटी ने बनाया देश का पहला ऐसा यंत्र

प्रदूषण के सबसे छोटे कण भी आएंगे नजर, आईआईटी ने बनाया देश का पहला ऐसा यंत्र

कानपुर। हवा में घुला प्रदूषण हमारे शरीर के अंगों को प्रभावित कर रहा है। खासतौर पर फेफड़े और सांस की नली तक जाकर प्रदूषण के कण समस्या पैदा करते हैं। हालांकि पीएम-१० और पीएम-२.५ के बारे में पता लगाने की सुविधा है, लेकिन सबसे छोटे कण यानि पीएम-१ को मापने का कोई भी यंत्र देश में अब तक नहीं बना था, पर कानपुर आईआईटी ने पीएम-१ को मापने का भी यंत्र तैयार कर लिया है। अब इसके जरिए हवा में घुले उन छोटे कणों की भी जानकारी मिल सकेगी।
सबसे खतरनाक हैं पीएम-१
पीएम-१ यानि हवा में घुले प्रदूषण के सबसे छोटे कण जो हमारी सांस की नली के जरिए खून तक पहुंचकर उसे दूषित बनाते हैं और जिससे शरीर में तमाम तरह की व्याधियां पैदा होती हैं। इन कणों को कोई भी मशीन नहीं देख पाती। अब इन कणों की जानकारी मिलने से इनकी रोकथाम की जा सकेगी, साथ ही लोगों को यह भी बताया जा सकेगा कि किस इलाके में पीएम-१ की मात्रा ज्यादा है। इससे लोग वहां पर जाने से बच सकते हैं।
कई जगह लगे यंत्र
आईआईटी ने शहर में कई जगह पर प्रदूषण मापक यंत्र लगाए हुए हैं। जिससे शहर के अलग-अलग इलाकों में हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है। मगर ये यंत्र केवल पीएम-२.५ से लेकर पीएम-१० तक के प्रदूषण की ही जानकारी देते हैं। किसी भी इलाके में पीएम -१ के प्रदूषण की जानकारी नहीं मिल पाती है। पीएम-२.५ निगेटिव होने पर उस क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त माना जाता है, जबकि उस इलाके में पीएम-१ है या नहीं, इसका पता नहीं चलता और लोग प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं।
यंत्र सोख लेगा पीएम-१
आईआईटी में बनाया गया नया पीएम-१ सैम्पलर अपनी परिधि में आए प्रदूषण के सभी छोटे-छोटे कणों को भी सोख लेगा। इस यंत्र में यह क्षमता है कि वह एक माइक्रॉन से छोटे कण भी सोख लेता है। यह यंत्र देश भर में १०० स्थानों पर लगाया गया है। आईआईटी ने इसके लिए इंडस्ट्री वाले इलाकों को प्राथमिकता दी है, क्योंकि उन जगहों पर प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है।
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