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आईआईटी के साइंटिस्ट ने किया चमत्कार, 11 भाषाओं में गीता का घर बैठे उठायें आनंद

locationकानपुरPublished: Jan 07, 2018 01:47:20 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने 11 भाषाओं में गीता ग्रन्थ को तैयार किया है, जिसे लोग अपने घर पर बैठकर टीवी और मोबाइल के जरिए देख और सुन सकते हैं।

IIT Kanpur scientist tv prabhakar
कानपुर. आईआईटी संस्थान जहां देश को बेहतरीन इंजीनियर और वैज्ञानिक दे रहा है, वहीं अब यहां के एक साइंटिस्ट ने एक और नई खोज कर दी है। कम्प्यूटर साइंस के साइंटिस्ट प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने 11 भाषाओं में गीता ग्रन्थ को तैयार किया है, जिसे लोग अपने घर पर बैठकर टीवी और मोबाइल के जरिए देख और सुन सकते हैं। इसको तैयार करने में प्रोफेसर को पूरे पांच साल लग गए और कई अन्य आईआईटी संस्थानों के वैज्ञानिकों ने इनका साथ दिया। प्रोफेसर ने बताया कि कोई भी व्यक्ति हमारी वेबसाइड (www.gitasupersite.iitk.ac.in) पर देवनागरी, गुजराती, बांग्ला, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, रोमन, असिमिया और तेलगू भाषा में गीता ग्रन्थ के 700 श्लोकों को देख और सुन सकता है।
700 श्लाकों का किया अनुवाद
आईआईटी के कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर पिछले पांच साल से 11 भाषाओं में गीता ग्रन्थ का निर्माण कर रहे थे। उन्होंने इन भाषाओं में 700 श्लोक तैयार कर अपनी वेवसाइड पर अपलोड कर दिए हैं, जिसे लोग घर बैठे देख और सुन सकते हैं। प्रोफेसर ने बताया कि इन श्लोकों को पद्मावती महिला यूनिवर्सिटी तिरुपति की प्रोफेसर वारमलक्ष्मी, आइआइटी गुवाहाटी के प्रोफेसर देवानंद पाठक व स्वामी ब्रह्मानंद ने अपनी आवाज दी है। इस दौरान करीब दो साल का वक्त लगा। इसे नेत्रहीन भी सुन सकते हैं। बताया कि श्लोक खत्म होने के बाद उसका भावार्थ अंग्रेजी में भी सुना जा सकता है। प्रोफेसर के मुताबिक गीता के श्लोकों के अलावा रामचरितमानस, उपनिषद, ब्रह्मा सूत्र, वाल्मीकि रामायण व योग सूत्र के श्लोकों को भी वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।
28 विषय विशेषज्ञों ने श्लोकों का किया अनुवाद
प्रोफेसर ने बताया कि 11 भाषाओं में गीता ग्रन्थ के श्लोकों को तैयार करने में हमें पांच साल लग गए। हमने देश भर के करीब 28 विष विशेषज्ञों से गीता के श्लोकों का अनुवाद कराए। इनमें से चिन्मानंद शिक्षण संस्थान ने अहम भूमिका अदा की। प्रोफेसर ने बताया कि उन्होंने सरकारी मदद के बिना 11 भाषा में गीता श्लोक तैयार करवाए। आने-जाने सहिज वेवसाइड को तैयार करने में लाखों रूपए खर्च हुए, जिसे हमने अपने वेतन के जरिए चुकाए। प्रोफेसर ने बताया कि हमरा उदेश्य भगवत गीता को देश के कोने-कोने में ले जाने का है। आज भी हजारों लोग गीता को पढ़ और सुन नहीं सकते। इसी के चलते हमने इसका बीढ़ा उठाया। बताते हैं, हम तमिलनाड़ु गए तो वहां के कुछ मित्रों ने हमसे भागवत गीता ग्रन्थ के बारे में पूछा तो हमने ठान लिया किया इसे अभी 11 और आगे चलकर और भाषाओं में तब्दील कर लोगों तक पहुंचाएंगे।
अनपढ़, कन्नड़, बांग्लाभाषी भी सुन-देख सकेंगे गीता
प्रोफेसर ने बताया कि गांवों में लैपटॉप, मोबाइल और इंटरनेट पहुंच गया है, लेकिन गीता का ग्यान उन्हें नहीं हैं। अनपढ़ होने के चलते उन्हें धार्मिक ग्रन्थ के साथ-साथ भारत के इतिहास के बारे में सही जानकरी नहीं है। इसी के चलते हमने अब कन्नड, बांग्ला सहित 10 भाषाओं में गीता श्लोक तैयार किए हैं। साथ ही लोग वेबसाइड के जरिए रामायण की चौपाइयां, दोहे व छंद नेपाली भाषा में पढ़ जा सकते हैं। उन्हें नेपाली भाषा में अनुवादित करने के लिए करीब एक वर्ष का समय लगा। रामायण के साथ नेपाली भाषा के जानकारों की तलाश करने को आइआइटी प्रोफेसर ने कई विशेषज्ञों से संपर्क किया। इस भाषा में अनुवाद होने के बाद इस वेबसाइट पर विजिट करने वाले नेपाली नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
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