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कुमार विश्वास के फैन्स ने लगाई फांसी, स्टूडेंट की मौत पर रो पड़ा आईआईटी

locationकानपुरPublished: Apr 19, 2018 01:28:30 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

IIT में ड्रिपरेशन के चलते छात्र उठा रहे खौफनाक कदम, 12 साल में 10 स्टूडेंट्स कर चुके हैं सुसाइड

IIT में ड्रिपरेशन के चलते छात्र उठा रहे खौफनाक कदम, 12 साल में 10 स्टूडेंट्स कर चुके हैं सुसाइड
कानपुर। वह पिछले तीन साल से आईआईटी कानपुर में पीएचडी कर कर था। हर वक्तं हंसने और हंसाने वाले हरियाणा निवासी भीम सबका प्यारा था। प्रोफेसर से लेकर जूनियर स्टूडेंट्स को शिक्षा की बारीकियां सिखाता तो सीनियरों से मैकेनिकल के गुरू सीखता। वह कवि कुमार विश्वास का बहुत बड़ा फैन था और उनकी कवताओं के जरिए अन्य स्ूडेंट्स को हंसता था। लेकिन सिमेस्टर परीक्षा की आहट से उसकी टेंशन बढ़ा दी और होनहार स्टूडेंट ने अपने कमरे के पंखे पर रस्सी से गले में डालकर इस दुनिया से चला गया। भीभ के सुसाइड की खबर जैसे संस्थान प्रशासन को हुई तो हड़कंप मच गया। सूचना पर पुलिस आई और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मौत को गले लगाने से पहले भीम ने अपने नोट्स को फाड़कर पूरे रूम में फैला दिए थे। पुलिस को उन्हीं नोट्स को एकत्र कर मौत के कारणों की जांच कर रही है।
पंखें पर फंदा डालकर झूल गए भीम
कानपुर आईआईटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग से पीएचडी कर रहे छात्र भीम सिंह ने देरशाम शाम अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। मामले की जानकारी तब हुई जब वो कही देर तक वह अपने कमरे से बहार नहीं निकला तब उसके साथी छात्रों ने दरवाजा धक्का देकर खोला तब देखा की वह मृत अवस्था में था। छात्रों ने घटना की सूचना आईआईटी की सिक्युरिटी को दी जिसके बाद आईआईटी प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी। सूचना परं पहुंची पुलिस और फोरंसिक टीम ने मामले की जाँच की। पुलिस ने भीम सिंह के शव को पोस्ट मार्टम के लिए भिजवाया और उसके परिजनों को घटना की जानकारी दी। वंहीं मौके से फोरेंसिक टीम को एक नोट मिला है जिसे फोरेंसिक टीम अपने साथ ले गयी है। आईआईटी के डिप्टी डाइरेक्टर मणीन्द्र अग्रवाल के अनुसार छात्र भीम सिंह पढ़ने में मेधावी थाए पता नहीं उसने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया।
बर्थडे पर जमकर नाचा था भीम
साथी स्टूडेंट डॉक्टर व्योम शर्मा ने बताया कि 13 अप्रेल को मेरा बर्थडे था। भीम ने मेरा जन्मदिन कुछ अलग तरीके से मनाने का प्लॉन किया। अपने साथियों को साथ उसने एखुद के पैसे से पार्टी रखी। देरशाम मैंने केक काटा और उस दिन भीभ जमकर डांस किया था। अपने साथ उसने वरिष्ठ प्रोफेसरों को भी नचाया था। एक दोस्त ने बताया कि सिमेस्टर परीक्षएं शुरू होने वाली थीं। इसी के चलते वह कुछ परेशान रहता था। पर इतना नहीं की वह इसके लिए सुसाइड कर ले। शर्मा ने बताया कि मंगलवार को हम दोनों ने जमकर मस्ती भी की थी। उसे कविताओं का बहुत खौक था। अक्सर कुमार विश्वास की कविताएं हमलोगों को सुनाता था।
12 साल में 12 छात्रों ने दी जान
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाना एक सपना होता हैण् लेकिन हाल में आईआईटी परिसर में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने अब इन संस्थानों के प्रबंधन को सकते में डाल दिया है। कानपुर आईआईटी में 2005 से लेकर 2018 तक 10 स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आईआईटी मेकैनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट शर्मा कहते हैंए अब संस्थान और छात्रों को काउंसेलिंग को ज्यादा गंभीरता से लेने का वक्त आ गया हैण्। संस्थान के एक प्रोफेसर कहते हैं कि अब प्रोफेसरों को भी छात्रों से संपर्क बढ़ाना चाहिए ताकि उनको आत्मघाती कदम उठाने से रोका जा सके। लोगों का कहना हैं कि एक ओर पढ़ाई समेत तमाम क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबावए अभिभावकों का दबाव और दूसरी ओर इसकी वजह से लगातार बढ़ते एकाकीपन के चलते कई छात्र पहले नशीली दवाओं का सहारा लेते हैं और फिर धीरे.धीरे मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं।हालांकि तमाम संस्थानों में काउंसेलिंग सेंटर खोले गए हैंण्ए लेकिन छात्रों पर नजदीकी निगाह रखने का कोई तंत्र नहीं होने की वजह से अक्सर शुरूआती दौर में इस समस्या का पता नहीं चल पाता।
इसके चलते उठा रहे हैं खौफनाक कदम
वहीं मनोवैज्ञानिक डॉक्टर रोहित अग्रवाल का कहना है कि जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता के बाद आईआईटी में दाखिला पाने वाले छात्रों व उनके अभिभावकों को पहले लगता है कि महज दाखिला मिलते ही सुनहरे भविष्य के दरवाजे खुल गए हैंण् लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। परिसर के भीतर जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता का माहौल होता है। ऊपर से अपने.अपने स्कूलों में टाप पर रहते आए छात्रों को यहां आ कर झटका लगता है। इसकी वजह है कि यहां तो तमाम टापर ही रहते हैं। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान महज कक्षा ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने का निरंतर दबाव रहता है। यहां आने वाले छात्रों ने स्कूली जीवन में कभी नाकामी नहीं देखी होती हैए लेकिन परिसर में उनका पाला इसी शब्द से पड़ता है। कई बार वह सेमेस्टर में पिछड़ जाते हैं तो कई बार प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने मे।
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